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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वेद शब्द | ३११ मूल : वेदो नारायणे वृत्ते यज्ञाङ्काऽऽम्नाययोरपि ।
नेदना स्त्री परिणयेऽनुभने ज्ञान-दुःखयोः ॥१७८५॥ नेदिः पुमान् बुधे नेदिर्वेदी स्त्री संस्कृतावनौ ।
अपि चांगुलिमुद्रायां सरस्वत्यामपि स्मृता ॥१७८६॥ हिन्दो टीका-वेद शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. नारायण, २. वृत्त (गोलाकार वगैरह) ३. यज्ञाङ्ग और ४. आम्नाय (श्रुति)। वेदना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं -१. परिणय (विवाह) २. अनुभव, ३. ज्ञान (स्मरण) और ४. दुःख । वेदि शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. बुध (पण्डित) होता है। किन्तु स्त्रीलिंग वेदि और वेदी शब्द के तीन अर्थ होते हैं१. संस्कृतावनि (परिष्कृत भूमि) और २. अंगुलिमुद्रा और ३. सरस्वती। इस प्रकार वेदो शब्द के कुल चार अर्थ समझना।
वेदी पुमान् कोविदे स्याद् ब्रह्मणि ज्ञातरि त्रिषु । वेधो व्यधे गभीरत्वो धकं धान्यके मतम् ।।१७८७॥ चन्द्रेऽम्लनेतसे पुंसि वेधकर्तरि तु त्रिषु ।
वेधनी मेथिका-हस्ति-कर्णवेधनशस्त्रयोः ॥१७८८।। हिन्दी टीका-पुल्लिग वेदी नकारान्त शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कोविद (पंडित) और २. ब्रह्म (परब्रह्म-परमेश्वर) किन्तु ३ ज्ञाता अर्थ में नकारान्त वेदी शब्द त्रिलिंग माना जाता है । वेध शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. व्यध (वेधन करना, बींधना) २. गभीरत्व (गभीरता)। नपंसक वेधक शब्द का अर्थ १. धान्यक (धान-सम्पत्ति) होता है। किन्तु पुल्लिग वेधक शब्द के दो अर्थ माने गये हैं – १. चन्द्र और २. अम्लवेतस (अमल बेंत) और ३. वेधकर्ता (वेधन करने वाला) अर्थ में शब्द त्रिलिंग माना जाता है । वेधनो शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. मेथिका (मेथो)
और २. हस्तिकर्णवेधनशस्त्र (हाथी के कान को वेध करने वाला अस्त्र विशेष) को भी वेधनो शब्द से व्यवहार किया जाता है। मूल : मेधा ब्रह्मणि गोविन्दे सहस्रांशौ विपश्चिति । .
अनन्तपुत्रे श्वेतार्क पादपेऽपि पुमानयम् ॥१७८६॥ वेरं कुंकुम वार्ताकु - शरीरेषु नपुंसकम् ।
बेला क्षणादि समये मर्यादा-दन्त मांसयोः ॥१७६०॥ हिन्दी टीका-वेधा शब्द सकारान्त पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. ब्रह्मा (प्रजापति) २. गोविन्द (भगवान कृष्ण) ३. सहस्रांशु (सूर्य) ४. विपश्चित् (पण्डित) ५. अनन्तपुत्र (भगवान अनन्त का पुत्र) और ६. श्वेतार्कपादप (सफेद ऑक का वृक्ष)। वेर शब्द नपुंसक है ओर उसके तीन अर्थ होते हैं -- १. कुंकुम (कंकु) २. वार्ताकु (वनभंट) और ३ शरोर को भी वेर कहते हैं । वेला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं १. क्षणादिसमय (क्षण पल मिनट वगैरह समय) २. मर्यादा और ३. दन्तमांस (दांत का मांस)। इस प्रकार वेला शब्द के तीन प्रर्थ माने गये हैं।
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