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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित–वीर शब्द | ३०५ और २. दिवाकर (सूर्य) । समानार्थक वीथि, वीथी और वीथिका-इन तीनों शब्दों के तोन अर्थ होते हैं१. गृहाङ्ग (घर का एक अङ्ग-भाग) २. वर्त्म (रास्ता) तथा ३. श्रेणी (पंक्ति)। नपुंसक वीध्र शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं—१. व्योम (आकाश) २. अनल (आग) और ३. वायु (पवन) किन्तु ४. निर्मल (स्वच्छ) अर्थ में वीध्र शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : वीरं तु तगरो-शीर-काफिकेषु विषौषधौ ।
आरूके मरिचे पोटगल - पुष्करमूलयोः ॥१७५०॥ वीर: पंसि जिने विष्णौ हनुमति रसान्तरे ।
करवीरे यज्ञवह्नौ - चर्जुने सुभटे नटे ॥१७५१।। हिन्दी टोका-नपुंसक वीर शब्द के आठ अर्थ माने जाते हैं-१ तगर (अगरबत्ती) २. उशोर (खश) ३. कांजिक (कांजी) ४. विषौषधि (जहर का औषध) ५. आरूक (वनस्पति विशेष) ६. मरिच (कालीमरी-मरीच) ७. पोटगल (नरकट या कास नाम का तृण विशेष) तथा ८. पुष्करमूल (कमलनाल दण्ड)। किन्तु पुल्लिग वोर शब्द के नौ अर्थ माने गये हैं - १. जिन (भगवान तीर्थकर) २. विष्णु (भगवान विष्णु) ३. हनुमान, ४. रसान्तर (रस विशेष-वीर रस) और ५ करवीर, ६. यज्ञवह्नि, ७. अर्जुन, ८. सुभट और ६. नट।
लताकरजे वाराहकन्द - तान्त्रिकभावयोः । वालिगस्त्वसौ श्रेष्ठ वीराचारविशिष्ट्योः ॥१७५२॥ वीरास्त्रियां तामलकी-शिशपा-ऽतिविषासु च ।
पतिपुत्रवती - क्षीरकाकोली - कदलीष्वपि ॥१७५३॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग वीर शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. लताकरञ्ज (करञ्जलता) २. वाराहकन्द (कन्द विशेष) और ३. तान्त्रिकभाव (जन्तर मन्तर) किन्तु ४. श्रेष्ठ और ५ वीराचारविशिष्ट (आचार विचारवान्) इन दोनों अर्थों में वीर शब्द वायलिंग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। स्त्रीलिंग वीरा शब्द के छह अर्थ माने गये हैं-१. तामलकी (भूमि की आमलकी) २. शिशपा (शीशो का वृक्ष)३. अतिविषा (अतीस) ४. पतिपुत्रवती (पूर्ण सौभाग्यवती) ५. क्षीरकाकोली (क्षीरकाकोली नाम की लता विशेष) और ६. कदली (केला)। मूल : एलावालुक-गम्भारी - गृहकन्या - सुरासु च ।
मुरो-दुम्बरिका क्षीरविदारी - दुग्धिकास्वपि ॥१७५४॥ काकोदुम्बरिका-ब्राह्मी-विदारीष्वपि कीर्तिता।
कोकिलाक्षे नदी सर्जे वह्नौ वीरतरुः पुमान् ॥१७५५॥ हिन्दी टोका-स्त्रीलिंग वीरा शब्द के और भी ग्यारह अर्थ माने गये हैं-१. एलावालुक (एलुआ वालुक नाम का प्रसिद्ध गन्ध द्रव्य विशेष) २. गम्भारी (गम्भारि) ३. गृहकन्या ४. सुरा (मदिरा) ५. मुरा (ममोरफली-मुरा नाम का प्रसिद्ध सुगन्धि द्रव्य विशेष) ६. उदुम्बरिका (गूलर-गुल्लरि) ७. क्षीरविदारी (सफेद भूमि कूष्माण्ड-कुम्हार) ८. दुग्धिका (दुधी) ६. काकोदुम्बरिका (कठूमर-काला गूलर)
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