________________
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -विधु शब्द | २६५
हिन्दी टीका-विधु शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. नारायण ( भगवान विष्णु) २. चन्द्र, ३. कर्पूर, ४. वायु और ५. रक्षस् (राक्षस) । विधुर शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. प्रविश्लेष (वियुक्त, विरही ) २. कैवल्य (मोक्ष) और ३. विकल । विनत स्त्रिषु भुग्ने स्यात् प्रणते शिक्षितेऽपि च ।
मूल :
स्त्रियां स्यात् पिटकाभेदे तथा गरुडमातरि ॥१६८६ ॥ विनयः प्रणतौ दण्डे शिक्षायामपि कीर्तितः । विनायकस्तु हेरम्बे गुरौ गरुड़ - बुद्धयोः ॥ १६६०॥
हिन्दी टीका - त्रिलिंग विनत शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. भुग्न ( वक्र टेढ़ा) २. प्रणत (नमा हुआ) और ३. शिक्षित (पढ़ा लिखा ) किन्तु स्त्रीलिंग विनता शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. पिटकाभेद (पिटका विशेष - पिटारी वगैरह ) और २. गरुडमाता (गरुड़ की माता) को भी विनता कहते हैं । विनय शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं- १. प्रणति ( नमना, झुकना) २. दण्ड और ३. शिक्षा (पढ़ाई ) । विनायक शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. हेरम्ब ( भगवान गणेश ) २. गुरु, ३. गरुड़ और ४. बुद्ध (भगवान बुद्ध) |
मूल :
विनिपातो निपतने दैव व्यसन - रीढ़योः । विनीतः सुवहाश्वे स्याद् वणिग्-दमनवृक्षयोः ॥१६६१॥ त्रिष्वसौ निभृते क्षिप्ते कृतदण्डे जितेन्द्रिये । विनीयः कल्मषे कल्के
विनेता राज्ञि देशके ।।१६६२||
हिन्दी टीका - विर्निपात शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. निपतन ( गिर जाना) २. दैव (भाग्य) ३. व्यसन (आपत्ति वगैरह ) और ४ रीढ़ (पीठ की मध्य हड्डी) । पुल्लिंग विनीत शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. सुवहारव (वहन समर्थ घोड़ा) २. वणिक् (बनिया) और ३. दमनवृक्ष (दमन नाम का वृक्ष विशेष ) किन्तु त्रिलिंग विनीत शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. निभृत (अत्यन्त ) २. क्षिप्त, ३. कृतदण्ड ( दण्डित) और ४. जितेन्द्रिय । विनीय शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. कल्मष ( मलिनता ) २. कल्क (पाप) । विनेता शब्द का अर्थ -- १. राजा और २. देशक है ।
मूल :
विनेय स्त्रिषु नेतव्ये दण्डनीयेऽपि कीर्तितः ।
विनोदः कौतुके क्रीडा - परिष्वङ्ग विशेषयोः ॥ १६६३॥ बिन्दुः पुमान् रूपकार्थप्रकृति - ज्ञानशीलयोः ।
अनुस्वारे भ्र ुवोर्मध्ये दशनक्षत- विप्रुषोः ॥१६६४॥
हिन्दी टीका - विनेय शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. नेतव्य ( ले जाने लायक ) और २. दण्डीय (दण्ड करने योग्य) । विनोद शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. कौतुक ( कुतूहल ) २. क्रीडा और ३. परिष्वङ्ग विशेष (आलिंगन विशेष ) । विन्दु शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ माने गये हैं - १. रूपकार्थप्रकृति (नाटकादि दृश्य काव्य की पाँच अर्थ प्रकृतियों में दूसरी विन्दु नाम की प्रकृति विशेष ) २. ज्ञानशील (ज्ञानी) ३. अनुस्वार, ४. भ्र मध्य, ५. दशनक्षत ( दांत के काटने से उत्पन्न क्षत व्रण विशेष) और ६. विप्रुट् ( थूक) इस प्रकार विन्दु शब्द के कुल छह अर्थ समझना चाहिए ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org