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२७२ | नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित - रोहित् शब्द
रोहीना रोहिताश्वत्थ वटवृक्षेषु कीर्तितः ।
हेमन्ते ना यमे रौद्रो रसभेदे ऽर्कतेजसि ।। १५५२ ।।
हिन्दी टोका—स्त्रीलिंग रोहित शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. लताभेद (लता विशेष) और २. मृगी (हरिणी) | पुल्लिंग रोहित शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. वृक्षभेद (वृक्ष विशेष ) २. वर्णभेद (वर्ण विशेष - लाल वर्ण) ३ मीनभेद ( मीन विशेष – रहु नाम की मछली) और ४. मृगान्तर ( मृग विशेष ) । रोही शब्द नकारान्त पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. रोहित (लाल) २. अश्वत्थ (पीपल) और ३. वटवृक्ष । रौद्र शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं - १. हेमन्त ( हेमन्त ऋतु ) २. यम ( धर्मराज या यमराज) ३. रसभेद ( रस विशेष - रौद्र नाम का रस ) तथा ४. अर्क - तेजस् (सूर्य का तेज — किरण - धूप-तड़का ) |
मूल :
तीव्र विभीषणे किञ्च रुद्र सम्बन्धिनि त्रिषु ।
त्रिषु धूर्ते चञ्चले च रौरवो नरके पुमान् ॥ १५५३।। लग्नं राश्युदये लग्नः सूते बन्दिन्यथ त्रिषु ।
आसक्ते लज्जिते च स्याल्लघुः पृक्कौषधौ स्त्रियाम् ॥१५५४ ||
हिन्दी टीका - रौद्र शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं - १. तीव्र (घोर) २. विभीषण ( अत्यन्त भयंकर) और ३. रुद्र सम्बन्धी अर्थ में रौद्र शब्द त्रिलिंग माना जाता है । ४. धूर्त और ५. चञ्चल अर्थ में भी रौद्र शब्द त्रिलिंग माना गया है । नरक अर्थ में गौरव शब्द पुल्लिंग माना जाता है। नपुंसक लग्न शब्द का अर्थ – १. राश्युदय (मेष आदि लग्नों का उदय) किन्तु पुल्लिंग लग्न शब्द का अर्थ - २. सूत (सारथी) होता है, परन्तु ३. बन्दी अर्थ में लग्न शब्द त्रिलिंग माना जाता है । त्रिलिंग लघु शब्द के दो अर्थ माने गये हैं- १. आसक्त (संसक्त - सटा हुआ ) और २. लज्जित (शर्मिन्दा) अर्थ में लघु शब्द पुल्लिंग माना गया है और लघु शब्द पृक्कौषधि (पृक्का नाम की औषधि - वनस्पति शाक विशेष ) अर्थ में स्त्रीलिंग मना जाता है । इस प्रकार लघ शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए ।. अल्पिष्ठे ह्रस्व निःसार- मनोज्ञागुरुषु त्रिषु ।
मूल :
कृष्णा गुरुणि शीघ्र े च तथा लामज्जके लघु ॥१५५५।। लवो नर्तकभेदे स्याद् रागभेदे तुरङ्गमे ।
लजे पुच्छे पदे कच्छे लट्वातु स्यात् करञ्जके ॥ १५५६ ॥
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हिन्दी टीका - त्रिलिंग लघु शब्द के और भी पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. अल्पिष्ठ ( अत्यन्त थोड़ा) २. ह्रस्व (छोटा) ३. निःसार ( सारहीन ) ४. मनोज्ञ ( रमणीय) और ५. अगुरु ( अगरु) किन्तु ६. कृष्णागुरु (काला अगरु ) ७. शीघ्र और ८. लामज्जक (खश) इन तीनों अर्थों में लघु शब्द नपुंसक ही माना जाता है । पुल्लिंग लट्व शब्द के सात अर्थ माने जाते हैं - १. नर्तकभेद (नर्तक विशेष नटुआ ) २. रागभेद (राग विशेष) ३. तुरंगम (घोड़ा) ४. लञ्ज ५. पुच्छ, ६. पद और ७. कच्छ (तून – तूणी नाम का वृक्ष विशेष) किन्तु स्त्रीलिंग लट्वा शब्द का अर्थ - ८. करञ्जक ( करञ्ज ( करकरेजा नाम का वृक्ष) होता है ।
मूल :
कुसुम्भे चटके वाद्य भेदे भ्रमरकेऽपि च । रतिभेदे देशभेदे लतावेष्टः
प्रकीर्तितः ।। १५५७ ।।
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