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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-रूप शब्द | २६५ ४. गभस्ति (किरण) एवं ५. शोभा, ६. बुभुक्षा (भूख-खाने की इच्छा) ७. रोचना (लाल कमल विशेष -रक्तकल्हार) और ८ आलिंगभेद (आलिंगन विशेष) । रुद्र शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं--१. शिव (भगवान शंकर) २. वृक्षभेद (वृक्ष विशेष) और ३. गणदेव विशेष (रुद्रगण-प्रमथादिगण देवता विशेष)। मूल : रूपं स्वभावे सौन्दर्ये पशावाकार-शब्दयोः ।
ग्रन्थाऽवृत्तौ नाटकादौ श्लोक-शुक्लादि वर्णयोः ॥१५११॥ रूपकं , नाटके मूर्ते संख्याऽलंकारभेदयोः।
रेको भेके च तथा शंकायां नीचे विरेचने ॥१५१२॥ हिन्दी टोका-रूप शब्द नपुंसक है और उसके नौ अर्थ माने जाते हैं-१. स्वभाव (नेचर) २. सौन्दर्य, ३. पशु, ४. आकार (सकल-स्वरूप) ५. शब्द, ६. ग्रन्थावृत्ति (ग्रन्थ का आवर्तन) ७. नाटकादि (नाटक--ईहामृग-भाण वगैरह) ८. श्लोक (पद्य) और- ६. शुक्लादि वर्ण । रूपक शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. नाटक, २. मूर्त, ३. संख्या और ४. अलंकारभेद (अलंकार विशेष - रूपकालंकार)। रेक शब्द के भी चार अर्थ होते हैं-१. भेक (मेंढ़क) २. शंका (सन्देह) ३. नीच (अधम) और ४. विरेचन (रेचन)। मूल : छद्मोल्लेखनयो रेखा स्यादाभोगाल्पयोरपि ।
लिलके जयपाले च यवक्षारेऽपि रेचकः ॥१५१३॥ . जलनिःक्षेपयन्त्रे च प्राणायाम विधावपि ।
रेणुका भस्मगान्धिन्यां जमदग्नेश्चयोषिति ॥१५१४॥ हिन्दी टोका-रेखा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. छद्म (छल कपट) २. उल्लेखन (उल्लेख करना, रेखा खींचना) ३. आभोग (परिपूर्णता, सेवा-शुश्रूषा वगैरह सब प्रकार के उपचारों से परिपूर्ण) ४. अल्प (लेशमात्र, थोड़ा सा) । रेचक शब्द के पांच अर्थ माने जाते हैं १ तिलक (तिलक नाम का वृक्ष विशेष, तिलकालक-मनोज्ञ-धनिक वगैरह) २. जयपाल (द्वारपाल विशेष) ३. यवक्षार (जवाखार) ४. जलनिःक्षेपयन्त्र (पानी फेंकने का यन्त्र विशेष) और ५ प्राणायाम विधि (रेचक नाम का प्राणायाम विशेष रेणका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. भस्मगन्धिनी (रेणका बीज -हरेणुका) और २. जमदग्नियोषित (जमदग्नि ऋषि की धर्मपत्नी-परशुराम की माता, जिनका परशुराम ने पिता की आज्ञा से सिर काट डाला था)। इस प्रकार रेणुका शब्द के दो अर्थ जानने चाहिए। मूल : पुच्छे प्रधाने भूषायां रम्ये चिह्न ध्वजे हये।
पुण्ड्र प्रभावे शृङ्गऽश्वे ललामञ्च ललाम च ॥१५१५॥ अभीप्सिते सुन्दरे च चलिते ललितस्त्रिषु ।
ललिता सप्तमीभेदे कस्तूर्यां सरिदन्तरे ॥१५१६॥ हिन्दी टीका-नपुंसक ललाम शब्द के ग्यारह अर्थ माने जाते हैं-१. पुच्छ (लङरी, लांगल) २. प्रधान (मुख्य) ३. भूषा (अलंकरण) ४. रम्य (सुन्दर-रमणीय) ५. चिह्न (लाञ्छन) ६. ध्वज (पताका) ७. हय (घोड़ा) ८. पुण्ड (इक्षु-गन्ना-शेर्डी-कुशियार) ६. प्रभाव (सामर्थ्य विशेष) १०. शृंग (सींग) ११. अश्व (शीघ्रगामी घोड़ा)। त्रिलिंग ललित शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. अभीप्सित (मनोऽभिलषित)
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