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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-भीरु शब्द | २४३ मूल : भीरुः स्त्री भयशीलायां स्त्रियां सामान्ययोषिति । शतावरी - कण्टकारी -छायाऽजा सुप्रकीर्तिता ॥१३७६।। पुमान् शृगाले शार्दू ले भयशीले त्वसौ त्रिष। भीरुक: कातरे घूके काननेक्षुविशेषयोः ॥१३८०॥ हिन्दो टीका-भीरु शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. भयशीला स्त्री (डरपोक स्त्री) २. सामान्ययोषित् (साधारण स्त्री) ३. शतावरो (शतावर) ४. कण्टकारी (रेंगनी कटया) ५. छाया और ६. अजा (बकरी) किन्तु पुल्लिग भीरु शब्द के दो अर्थ होते हैं -१. शृगाल (सियार) और २. शार्दूल (पक्षी विशेष) परन्तु ३. भयशील अर्थ में भीरु शब्द त्रिलिंग माना जाता है। भीरुक शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. कातर (कायर) २. घूक (उल्लू नाम का पक्षी विशेष) ३. कानन (जंगल, वन) और ४. इक्षुविशेष (गन्ना शेर्डी) इस तरह भीरुक शब्द के चार अर्थ जानना । मूल : शिवे कपोते हिन्ताले शल्लक्यां भीषणेरसे। भीष्मो भयानकरसे गाङ्ग ये राक्षसे शिवे ॥१३८१॥ भुक्तिः स्त्री भोजने भोगे भुजङ्गः षिङ्ग-सर्पयोः । भुजिष्यो हस्तसूत्रे स्याद् रोगे दास-स्वतन्त्रयोः ॥१३८२॥ हिन्दो टोका-भीरुक शब्द के और भी पांच अर्थ माने जाते हैं--१. शिव (भगवान शकर) २. कपोत (कबूतर) ३. हिन्ताल (हिन्ताल नाम का तृणद्र म विशेष) ४. शल्लकी (शाही-शहरी) और ५. भीषणरस (भयानक रस) को भो भीरुक शब्द से लिया जाता है। भीष्म शब्द के चार अर्थ होते हैं१. भयानक रस, २. गांगेय (भीष्म पितामह) ३. राक्षस और ४. शिव (भगवान शंकर)। भुक्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं –१. भोजन, २. भोग। भुजंग शब्द के भो दो अर्थ होते हैं१. पिंग (नपुंसक-हिजड़ा) ओर २. सर्प । भुजिष्य शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं-१. हस्तसूत्र (मांगलिक विवाहादिकालिक हस्तसूत्र) २. रोग ३. दास (नौकर) और ४. स्वतन्त्र । इस प्रकार भुजिष्य शब्द के चार अर्थ जानना। मूल : भुवनं सलिले व्योम्नि जन-विष्टपयोरपि । भुवन्युस्तु सहस्रांशौ वह्नौ चन्द्रमसि प्रभौ ॥१३८३॥ भूः स्त्रियां पृथिवी स्थानमात्र-यज्ञाग्निषु स्मृता। भूकाकः स्वल्पकङ्क स्यात् क्रौञ्च नीलकपोतयोः ॥१३८४॥ हिन्दी टीका-भुवन शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. सलिल (जल) २. व्योम (आकाश) ३. जन और ४. विष्टप (जगत)। भुवन्यु शब्द पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ माने गये हैं-१. सहस्रांशु (सूर्य) २. वह्नि (अग्नि) ३. चन्द्रमस् (चन्द्रमा) और ४. प्रभु (मालिक)। भू शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पृथिवी (भूमि) २ स्थानमात्र और ३. यज्ञाग्नि । भूकाक शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं - १. स्वल्पकङ्क (छोटा सफेद चील-कंकहरा) २. क्रौञ्च (क्रौञ्च नाम का पक्षी विशेष) तथा ३. नीलकपोत (नीले रङ्ग का कबूतर)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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