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२४० | नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - भव शब्द
कर्मरङ्ग तरौ पुंसि रसभेदे ऽस्त्रियामसौ | भव्या स्याद् गजपिप्पल्यां दुर्गायां रम्यवस्तुनि ॥१३६२ ॥
हिन्दी टीका - भव शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. जन्म, २. संसार, ३. क्षेम (कल्याण) ४. प्राप्ति और ५ महेश्वर ( परमेश्वर या भगवान शंकर ) । त्रिलिंग भव्य शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. शुभ, २. योग्य, ३. सत्य और ४. भावी ( होने वाला) । किन्तु ५ कर्मरङ्गतरु ( कर्म रङ्ग वृक्ष ) अर्थ में भव्य शब्द पुल्लिंग माना जाता है परन्तु ६. रसभेद ( रस विशेष ) अर्थ में भव्य शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना जाता है । भव्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. गजपिप्पली ( गजपीपरि) २. दुर्गा (पार्वती) और ३. रम्य वस्तु ( रमणीय पदार्थ ) |
मूल :
भसत् स्त्री भास्करे योनौ काले कारण्डवे प्लवे । भस्मकं कलधौते स्यात् रोगभेद - विडङ्गयोः ।।१३६३॥
भस्मतुलं ग्रामकूटे तुषारे पांशुवर्षणे ।
भागो रूपयार्ध भाग्ये राशेस्त्रिशांशकेऽशके ॥ १३६४ ।।
हिन्दी टोका - भसत् शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. भास्कर (सूर्य) २. योनि, ३. काल, ४ कारण्डव (वत्तक) ५. प्लव (बन्दर वगैरह ) । भस्मक शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. कलधौत (सोना या चाँदी ) २. रोगभेद ( रोग विशेष -- भस्मक नाम का रोग ) तथा ३. विडङ्ग (वायविडङ्ग) । भस्मतूल शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं१. ग्रामकूट, २. तुषार (बर्फ) और ३. पांशुवर्षण ( धूलि की वर्षा ) । भाग शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. रुप्यार्धक (आठ आना) २. भाग्य, ३. राशित्रिंशांश ( रात का तीसवां भाग - एक दण्ड) और ४. अंशक ( हिस्सा भाग ) ।
मूल :
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भाग्ये क्लीवं भागधेयं दायादकरयोः पुमान् ।
योग्य आढकमाने च पात्रे भाजनमीरितम् ॥१३६५।।
हिन्दी टीका - भागधेय शब्द १ भाग्य अर्थ में नपुंसक है किन्तु २ दायाद (गोतिया ) और ३. कर (टैक्स) अर्थों में भागधेय शब्द पुल्लिंग माना जाता है। भाजन शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं१. योग्य ( लायक) २. आढकमान (अढैया ) और ३. पात्र (बर्तन) ।
मूल :
भाण्डं पात्रे भाण्डवृत्तौ वणिङ, मूलधने मतम् । भानुदिवाकरे रश्मौ वृत्तार्हज्जनके प्रभौ ॥ १३६६॥ भामः क्रोधे सहस्रांशौ दीप्तौ च भगिनीपतौ ।
भारती वाचि वृत्तौ च सरस्वत्यां खगान्तरे ।। १३६७॥
हिन्दी टीका - भाण्ड शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. पात्र (बर्तन) २. भाण्डवृत्ति ( बर्तन बनाना) और ३. वणिङ मूलधन (बनिया का मूल धन) । भानु शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. दिवाकर (सूर्य) २. रश्मि (किरण) ३. वृत्तार्हज्जनक ( अतीत भगवान अर्हन्त का पिता - भानु नाम का, तीर्थङ्कर विशेष का पिता) और ४. प्रभु (स्वामी) । भाम शब्द पुल्लिंग
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