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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - प्रतिग्रह शब्द | २३१
प्रतिपन्न तु विक्रान्ते ऽङ्गीकृतेऽवगते त्रिषु । प्रतिपक्षस्तु सादृश्ये विपक्षे प्रतिवादिनि ॥१३०८ ॥
हिन्दी टीका - प्रतिग्रह शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. द्विजेभ्यो विधिवद्देय (ब्राह्मणों को विधिविधान पूर्वक देना) २ तद्ग्रह (अमुक ग्रह तद्ज्ञान विशेष) और ३. ग्रहभेद ( ग्रहविशेष ) । प्रतिपद् शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. द्रगड २. वाद्य (वाद्य बाजा विशेष ) ३. धिषणा (बुद्धि) और ४. तिथिभेद ( तिथि विशेष - प्रतिपदा तिथि) । प्रतिपन्न शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. विक्रान्त (विक्रमी - पराक्रमी ) २. अंगीकृत ( स्वीकृत) और ३. अवगत (ज्ञात ) । प्रतिपक्ष शब्द के भी तीन अर्थ माने गये हैं - १. सादृश्य ( सरखापन ) ६. विपक्ष ( प्रतिपक्ष-विरोधी ) और ३. प्रतिवादी (प्रतिवाद विरोध करने वाला) इस तरह प्रतिपक्ष शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए ।
मूल :
बोधने प्रतिपत्तौ च दानेऽपि प्रतिपादनम् ।
प्रतिभा तु मतौ दीप्ति प्रत्युत्पन्नमतित्वयोः ।। १३०८॥ प्रतिमा गजदन्तस्यबन्धे प्रतिकृतावपि ।
प्रतियत्नो निग्रहादौ संस्कारे च प्रतिग्रहे ॥ १३१०॥
हिन्दी टीका - प्रतिपादन शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. बोधन (बोध- ज्ञान कराना) २. प्रतिपत्ति (प्रभुत्व) और ३. दान । प्रतिभा शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. मति, २. दीप्ति ( तेज प्रकाश) और ३. प्रत्युत्पन्नमतित्व ( तात्कालिक तुरत स्फूर्ति विशेष ) । प्रतिमा शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-- १. गजदन्तस्यबन्ध (हाथी के दांत का बन्धन) और २. प्रतिकृति (मूर्ति) । प्रतियत्न शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं - १. निग्रहादि (निग्रह - कैद करना वगैरह ) और २. संस्कार तथा ३. प्रतिग्रह (प्रतिग्रह लेना) ।
मूल :
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प्रतिष्कसः सहाये स्याद् वार्ताहर-पुरोगयोः ।
प्रतिष्ठा गौरवे स्थाने पद्य-संस्कारभेदयोः ।।१३११ ।। प्रातःकाले चमूपृष्ठे माल्ये प्रतिसरः पुमान् ।
अस्त्रियां मण्डलाऽऽरक्ष - हस्तसूत्रेषु कीर्तितः ॥१३१२॥
हिन्दी टीका - प्रतिष्कस शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. सहाय, २. वार्ताहर (दूत - सन्देश पहुंचाने वाला) और ३. पुरोग (अग्रगामी) । प्रतिष्ठा शब्द के चार अर्थ माने गये हैं- १. गौरव, २. स्थान, ३. पद्य (श्लोक) और ४. संस्कारभेद (संस्कार विशेष ) । प्रतिसर शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. प्रातःकाल (सुबह) २. चमूपृष्ठ (सैन्यपृष्ठ - पीठभाग) और ३. माल्य (माला) । पुल्लिंग तथा नपुंसक प्रतिसर शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. मण्डल ( जिला समुदाय) २. आरक्ष (अच्छी तरह रक्षा करने वाला) और ३ हस्तसूत्र (हाथ का मांगलिक सूत्र बन्धना - नाड़ा) ।
मूल :
त्रिषु प्रतिहतौ द्विष्टे प्रतिस्खलित - रुद्धयोः ।
प्रतीकार श्चिकित्सायां वैरनिर्यातनेऽपि च ॥१३१३॥ प्रतीतस्त्रिषु विख्याते सादरे ज्ञात-हृष्ट्योः । प्रतीहारो द्वारपाले द्वार - सन्धि विशेषयोः ॥१३१४॥
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