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२१० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित–पद्मनाभ शब्द मुख में कमल के समान छोटे-छोटे लाल बिन्दु) २. सीसक (शीशा) ३. संख्याभेद (संख्या विशेष) और ४. पुष्करमूल (कमल का नाल दण्ड) । पुल्लिग पद्म शब्द के पांच अर्थ होते हैं—१. दाशरथि २ नागविशेष ३. बलदेव, ४. पद्मोत्तरात्मज (पद्मोत्तर का पुत्र) और ५. स्त्रीरतिबन्धान्तर (स्त्री का रतिभोगकालिक बन्धन विशेष)! पद्मक शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं—१. पद्मकाष्ठ २. बिन्दुजालक (हाथी के मुख में कमल के समान छोटे-छोटे लाल बंद) और ३. कृष्ठ। इस प्रकार पद्मक शब्द के तीन अर्थ सम ने चाहिए। मूल : पद्मनाभो हृषीकेशे भावितीर्थङ्करान्तरे ।
पद्मप्रभः पद्मतुल्यप्रभायुक्ते जिनान्तरे ॥११७६।। ब्रह्म - सूर्य - कुवेरेषु नृपतौ पद्मलाञ्छनः।
इन्दिरायां सरस्वत्यां तारायां पद्मलाञ्छना ।।११८०॥ हिन्दी टोका-पदमनाभ शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं -- १. हृषीकेश (भगवान कृष्ण) २. भावितीर्थङ्करान्तर (पद्मनाभ नाम के भावी तीर्थङ्कर विशेष) । पद्मप्रभ शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने गये हैं-१. पद्मतुल्यप्रभायुक्त (कमल के समान प्रभायुक्त) और २. जिनान्तर (पद्मप्रभ नाम के तीर्थङ्कर विशेष)। पुल्लिग पद्मलाञ्छन शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. ब्रह्म (परमात्मा) २. सूर्य, ३. कुबेर और ४. नृपति (राजा)। स्त्रीलिंग पद्मलाञ्छना शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. इन्दिरा (लक्ष्मी) २. सरस्वती और ३. तारा (भगवती तारा) इस तरह पद्मलाञ्छन शब्द के सात अर्थ जानना। मूल : पद्मा लक्ष्म्यां लवंगे च व्यतीतजिनमातरि ।
बृहद्रथसुता - पद्मचारिणी- पञ्जिकासु च ॥११८१॥ कुसुम्भपुष्पे मनसादेव्यामपि सतां मता।
पद्यं कविकृतौ शाम्य पद्या मार्गे स्तुतावपि ॥११८२॥ हिन्दो टोका-स्त्रीलिंग पद्मा शब्द के आठ अर्थ माने गये हैं-१. लक्ष्मी, २. लवङ्ग, ३. व्यतीतजिनमाता (अतीत तीर्थंकर विशेष पद्मप्रभ की माता) ४. बृहद्रथसुता (बृहद्रथ-राजा की कन्या) ५. पद्मचारिणी (स्थलकमलिनी) ६ पञ्जिका (टीका-पद्धति वगैरह) । ७. कुसुम्भपुष्प (कुसुम वरे, कुसुम्भ नाम का प्रसिद्ध फूल विशेष) तथा ८. मनसादेवी (भगवती मनसा देवो) को भी पद्मा कहते हैं। नपुंसक पद्य शब्द के दो अर्थ माने गये हैं ----१. कविकृति (कवि की रचना) और २. शाठ्य (शठता)। स्त्रीलिंग पद्या शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. मार्ग (रास्ता) और २. स्तुति (प्रशंसा)। इस प्रकार पद्य शब्द के चार अर्थ समझना।
पद्मिनी हस्तिनी-पद्म-मृणालेषु सरोवरे । स्त्रीविशेषे पद्मयुक्तदेशे - पद्म समूहयोः ॥११८३॥ पन्नगो भुजगे पद्मकाष्ठ - भेषजभेदयोः ।
पपी: स्याच्चन्दिरे सूर्ये पयः सलिल दुग्धयोः ॥११८४॥ हिन्दो टोका-पद्मिनो शब्द के सात अर्थ माने गये हैं --१. हस्तिनी (हथिनी) २. पद्म (कमल)
मूल :
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