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२०० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - नील शब्द
नीलकण्ठ : शिवे पीतसारे खञ्जन - बहिणोः । दात्यूहे ग्रामचटके मूलके तु नपुंसकम् ॥ १११६॥
हिन्दी टीका - त्रिलिंग नील शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. न्यग्रोध ( वट वृक्ष ) २. निधिभेद (निधि विशेष) और ३. नील वर्णवान (नील वर्ण वाला) इन तीनों अर्थों में नील शब्द त्रिलिंग माना जाता है । नपुंसक नीलक शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. काचलवण (क्षार लवण) और २. वर्त - लोह (इस्पात ) किन्तु ३ असन (बन्धूक फूल) अर्थ में नीलक शब्द पुल्लिंग माना जाता है । पुल्लिंग नीलकण्ठ शब्द के छह अर्थ माने गये हैं- १. शिव ( शंकर भगवान् महादेव) २. पीतसार (पीतसार नाम का वृक्ष विशेष जिसका सार भाग पीला होता है) और ३. खञ्जन ( खञ्जन पक्षी विशेष ) ४. बर्ही ( मयूर - मोर) और ५. दात्यूह (जल कौवा, धूएँ से रंग वाला कौवा अत्यन्त काला काक, डोम काक — कारकौवा) तथा ६. ग्रामचटक (चकली, बगड़ा) किन्तु ७ मूलक (मूली-मुरें ) अर्थ में नीलकण्ठ शब्द नपुंसक माना जाता है । इस प्रकार नीलकण्ठ शब्द के सात अर्थ जानना ।
मूल :
नीलपत्रो गुण्ड
दाडिमेऽश्मन्तकद्रुमे । नीलासने नीलपद्मे त्रिषु नील पलान्विते ।।११२०॥
हिन्दी टीका - पुल्लिंग नील पत्र शब्द के पाँच अर्थ होते हैं १. गुण्डतृण ( घास विशेष ) २. दाडिम ( बेदाना) ३. अश्मन्तकद्र म ( अश्मन्तक नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) और ४. नीलासन (नीलवर्ण वाला बन्धूक फूल) और ५. नीलपद्म (नीलकमल ) किन्तु ६. नील पलान्वित अर्थ में त्रिलिंग है । नीलंगु र्भम्भराल्यां स्त्री कृमौ च शुषिरे पुमान् । नीलाञ्जसाऽप्सरोभेदे सौदामिन्यां नदीभिदि ॥११२१॥ नीलाम्बरे नीलवर्णवस्त्र - तालीशपत्रयोः । नीलाम्बरः प्रलम्बघ्ने राक्षसे च शनिग्रहे ॥। ११२२||
मूल :
हिन्दी टीका - स्त्रीलिंग नीलंगु शब्द का अर्थ - १. भम्भराली (भ्रमर पंक्ति) होता है और पुल्लिंग नीलंगु शब्द का अर्थ २ कृमि (छोटा-छोटा कीड़ा) और ३. शुषिर (बिल) होता है । नीलाञ्जसा शब्द के तोन अर्थ माने जाते हैं - १. अप्सरोभेद ( अप्सरा विशेष) और २ सौदामिनी ( बिजली एलेट्रिक) तथा ३. नदीभिद (नदी विशेष ) । नपुंसक नीलाम्बर शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं - १. नोल वर्ण वस्त्र (नील वर्ण का कपड़ा) २. तालीशपत्र (तालीश नाम के वृक्ष का पत्ता) और पुल्लिंग नीलाम्बर शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं - १. प्रलम्बघ्न (बलराम) और २. राक्षस तथा ३. शनिग्रह ( शनैश्चर, शनि) । नीलिका नेत्ररोगे स्यात् क्षुद्र रोगे जलज्वरे ।
मूल :
शेफाली - नीलिनी-नील सिन्दुवारेषु कीर्तिता ॥ ११२३॥ नीवी स्त्रियां मूलधने राजपुत्रादि बन्धके ।
नारीकटी वस्त्रबन्धे पुंस्कटी वस्त्र - बन्धने ॥। ११२४ ॥
हिन्दी टीका - नीलिका शब्द के छह अर्थ माने जाते हैं- १ . नेत्ररोग (आँख का रोग विशेष - फूला ) २. क्षुद्ररोग (छोटा रोग विशेष) ३. जलज्वर (जल की कुम्भी) ४. शेफाली (सिंहर हार का फूल --- पारिजात) ५. नीलिनी (शैवाल-सेमार) और ६. नीलसिन्दुवार (निर्गुण्डी - सिन्धुआर - स्यौंडी ) । नीवी शब्द स्त्रीलिंग
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