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१६४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - निर्वाद शब्द
हिन्दी टीका निर्वाद शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. वादाभाव (निर्विवाद) और २. परीवाद ( निन्दा) । निर्वापण शब्द के भी दो अर्थ होते हैं - १. दान और २. वध (हत्या) । निर्वासन शब्द के भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. नगरादेर्बहिष्कार ( नगर वगैरह से बहिष्कार - बायकाट) और २. वध (हिंसा) । निर्विष्ट शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. कृताग्निहोत्र ( अग्निहोत्री ) २. स्थित (विद्यमान ) ३. प्राप्त और ४. विवाहित। निर्वृत्ति शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं - १. सुस्थिति (शान्ति) २. मृत्यु (मरण) ३. मोक्ष, ४. अस्तंगमन (अस्त) और ५. सुख भी निर्वृत्ति शब्द का अर्थ जानना । मूल : निर्वृत्तिर्जीविकाहीने निष्पत्तावपि कीर्तिता ।
हिन्दी टीका - निर्वृत्ति शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. जीविकाहीन (निर्जीविक) और २. निष्पत्ति ( सम्पन्नता) । निर्वेद शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. परवैराग्य ( दूसरे सांसारिक प्राणि वगैरह से वैराग्य प्राप्त करना) २ वैराग्य ( अनासक्ति) तथा ३. स्वावमानन (अपने को धिक्कारना) । निर्वेश शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं—१. वेतन, २. भोग, ३ परिणीति (परिणय विवाह) और ४. मूर्च्छन (मूर्च्छा प्राप्त करना) । नपुंसक निर्वेष्टन शब्द का -- १. नाडिचीर अर्थ होता है किन्तु २. वेष्टनोज्झित (वेष्टनरहित) अर्थ में निर्वेष्टन शब्द त्रिलिंग माना जाता है । इस प्रकार निर्वेष्टन शब्द के दो अर्थ जानने चाहिए ।
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निर्हारो मलमूत्रादित्यागे चाभ्यवकर्षणे । यथेष्टविनियोगेऽपि दाहे सूरिभिरीरितः ।। १०८५ || वस्त्रे गृहे निवसनं निवहो मारुते चये । निवात आश्रयेऽवाते निवासेऽभेद्यवर्मणि ॥१०८६ ॥
हिन्दी टीका – निर्धार शब्द के चार अर्थ होते हैं - मलमूत्रादित्याग ( मलमूत्र परित्याग ) २. अभ्यवकर्षण (खींचना) ३. यथेष्ट विनियोग (इच्छानुसार खर्च करना) और ४. दाह । निवसन शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. वस्त्र और २. गृह । निवह शब्द के भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. मारुत (पवन) और चय ( समुदाय ) । निवात शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. आश्रय, २. अवात (वायुरहित) ३. निवास और ४. अभेद्यवर्म (अभेद्य कवच ) । इस प्रकार निवात शब्द के चार अर्थ जानना ।
मूल :
मूल :
निर्वेदः पर-वैराग्ये वैराग्ये स्वावमानने ॥१०८३ || निर्वेशो वेतने भोगे परिणीतौ च मूर्च्छने । निर्वेष्टनं नाडिचीरे त्रिष्वसौ वेष्टनोज्झिते ॥१०८४ ॥
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निवापः पितृदाने स्याद् दानमात्रेऽपि चेष्यते । निवीतमुपवीते स्यादाच्छादनपटे त्रिषु ॥ १०८७॥ निवृत्तिः स्यादुपरम प्रवृत्ति प्रागभावयोः । समर्पणा ssarat निवेदनमितीरितम् ॥१०८८ ॥
हिन्दी टीका-निवाप शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. पितृदान ( पितर निमित्तक दान - श्राद्ध तर्पण वगैरह ) और २. दानमात्र ( साधारण दान) । निवीत शब्द - १. उपवीत (उपनयन – यज्ञोपवीत) अर्थ में नपुंसक माना जाता है और २. आच्छादनपट ( ओढ़ने का कपड़ा) अर्थ में
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