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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-नगौकस् शब्द | १७७ वर्ण) और ६. बभ्र भार्या (बभ्र राजा की धर्मपत्नी स्त्री) तथा ७. कुलहीन (कुलरहित जिसके कुल वंश का कोई पता या ठिकाना नहीं है) किन्तु इस कुलहीन अर्थ में नकुली शब्द त्रिलिंग माना जाता है। नक्तञ्चर पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. राक्षस, २. गुग्गुलि (गुग्गल) ३. चोर, ४. धक (उल्लू नाम का प्रसिद्ध पक्षी विशेष) । नखरायुध शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ हैं-१ सिंह, २. शार्दूल नाम का प्रसिद्ध सबसे बड़ा पक्षी और ३. कुक्कुट (मुर्गा)। मूल : नगौकाः पुंसि पञ्चास्ये शरभे वायसे खगे। त्रिषु स्यान्नगवास्तव्ये नग्नस्त्रिषु दिगम्बरे ॥ ६८२ ॥ पुमांस्तु स्यात् क्षपणके राजादि स्तुतिपाठके । नटः कुशीलवेऽशोके रागिण्यां किष्कुपर्वणि ।। ६८३ ।। हिन्दी टोका-पुल्लिग नगौकस् शब्द के चार अर्थ माने गये हैं--१. पञ्चास्य (सिंह) २. शरभ (शरभ नाम का प्रसिद्ध पक्षी विशेष) ३. वायस (काक-कौवा) ४. खग (पक्षी) किन्तु ५. नगवास्तव्य (पर्वतवासी, पहाड़ पर रहने बसने वाला) इस अर्थ में नगौकस् शब्द त्रिलिंग माना गया है। नग्न शब्द १. दिगम्बर (नंगा) अर्थ में त्रिलिंग माना जाता है किन्तु २ क्षपणक (संन्यासी) और ३. राजादि स्तुति पाठक (राजा वगैरह की स्तुति करने वाला भाट चारण वगैरह) में पुल्लिग माना जाता है। नट शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. कुशीलव (सूत्रधार वगैरह) २. अशोक ३. रागिणी और ४. किष्कपर्व (हाथ का पर्व--पोर या अंगुलि का पर्व--पोर) इस तरह नगौकस् शब्द के कुल मिलाकर पाँच और नग्न शब्द के तीन तथा नट शब्द के चार अर्थ जानने चाहिए। शौनिक्यां शौण्डिकाज्जाते वर्णसंकर मानवे । नटी नटस्त्रियां वेश्या-गन्धद्रव्य विशेषयोः ॥ ६८४ ॥ नदीकान्तः समुद्रे स्यात् हिज्जले सिन्धुवारके। . नदीन वरुणे सिन्धौ नदीजोऽर्जुनपादपे ॥ १८५॥ हिन्दी टीका-नट शब्द का एक और भी अर्थ माना गया है-शौचिक्यां शौण्डिकाज्जाते वर्ण संकर मानव (शौण्डिक-कलवार से शौचिकी-ब्राह्मणी में उत्पन्न वर्णसंकर मनुष्य विशेष) को भी नट शब्द से व्यवहार किया जाता है । नटी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. नटस्त्री (नट भार्या नट्टिन) २. वेश्या (वारवधू, रण्डी) और ३. गन्ध द्रव्य विशेष । नदीकान्त शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ हैं-१ समुद्र २. हिज्जल (स्थलबेंत या जलबेंत) और ३. सिन्धुवारक (सिन्दुवार निगुण्डो, स्योंडी) । नदीन शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं--१. वरुण और २. सिन्धु (समुद्र)। नदीज शब्द का अर्थ-१. अर्जुनपादप (अर्जुन नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) है। इस तरह नदीन शब्द के दो और नदीज शब्द का एक अर्थ जानना। नदीजाते यावनालशर-हिज्जल वृक्षयोः । नन्दो नारायणे गोपविशेष - नृपभेदयोः ॥ ६८६ ॥ आनन्दे निधिभेदे च वेणु भेदेऽप्यसौमतः।। नन्दको विष्णु निस्त्रिशे हर्षके कुलपालके ॥ ९५७ ॥ हिन्दी टोका-नदीज शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं--१. नदीजात (नदी में उत्पन्न) और मूल : मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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