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१७४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-धुन्धुमार शब्द
धववृक्षेऽप्यथो धर्यो धूर्वहे वृषभे पुमान् ।
धूः स्त्री रथाद्यग्रभागे भार चिन्तनयोरपि ।। ६६४ ॥ हिन्दी टोका-धुन्धुमार शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. शक्रगोप (कीट विशेष) २. बृहदश्वनृपात्मज (बृहदश्व नामक राजपुत्र) और ३. पदालिक तथा ४ गेहधूम (घर का धुंआ)। धुरन्धर शब्द का "धुरीण" अर्थ होता है (धुरीण अर्थात् भार वहन समर्थ)। धुरन्धर शब्द का "धववृक्ष" (पिप्पल वृक्ष) भी अर्थ होता है । धुर्य शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. धूर्वह (भारवहन समर्थ) और २. वृषभ (बड़ा बैल)। धू शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. रथाद्यग्रभाग) रथ-गाड़ी वगैरह का अग्रभाग, जिसको धुरी कहते हैं) २. भार (बोझा) और ३. चिन्तन (चिन्तन करना)। इस प्रकार धू शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए। मूल :
कम्पिते भत्सिते त्यक्ते तकिते धूत इष्यते । शुम्भासुरस्य सेनान्यां कपोते धूम्रलोचनः ॥ ६६५ ॥ धूर्तो द्यूतकरे षिङ्ग वञ्चके च त्रिलिंगकः ।
क्लीवं विड्लवणे लौह-किट्ट पुंसि तु चोरके ॥ ६६६ ॥ हिन्दी टीका–धूत शब्द के चार अर्थ होते हैं-१ कम्पित, २. भत्सित, ३. त्यक्त, ४. तकित । धूम्रलोचन शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. शुम्भासुरस्य सेनानी (शुम्भासुर का सेनापति) और २. कपोत (कबूतर)। धूर्त शब्द–१. द्यूतकर (जुआरी) २. षिङ्ग (नपुंसक-हिजड़ा) और ३. वञ्चक (ठगने वाला) इन तीनों अर्थों में त्रिलिंग माना जाता है किन्तु ४. विड्लवण (विड्नमक) और ५. लौहकिट्ट (लोहे का कीट-जंग-मल) इन दोनों अर्थों में धूर्त शब्द नपुंसक माना गया है और ६. चोरक (चुराने वाला) अर्थ में पुल्लिग ही माना जाता है।
धुस्तूरे जम्बुके धूलीकदम्बो वरुणद्रुमे । नीपेऽथ धूसरः किञ्चित् पाण्डुवर्णे क्रमेलके ॥ ६६७ ॥ पारावते तैलकारे गर्दभे कीर्तितः पुमान् ।
त्रिष्वीषत्पाण्डुवर्णाढ्ये स्त्री तु स्यातु किन्नरीभिदि ॥६६८।। हिन्दी टीका-धूर्त शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. धुस्तूर (धत्तूर) और २. जम्बुक (गीदड़-सियार) । धूलीकदम्ब शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. वरुणद्र म (वरुण नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) और २. नीप (कदम्बवृक्ष)। धूसर शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. किञ्चित् पाण्डु वर्ण (थोड़ा सा पिंगल वर्ण, भूरा रंग) २. क्रमेलक (ऊंट) ३. पारावत (कबूतर) और ४. तैलकार (तेली-घांची) तथा ५. गर्दभ (गदहा) किन्तु ६. ईषत्पाण्डुवर्णाढ्य (कुछ अधिक भूरा रंग वाला) अर्थ में धूसर शब्द त्रिलिंग माना जाता है परन्तु स्त्रीलिंग धूसरा शब्द का अर्थ-किन्नरोभिद् (किन्नरांगना विशेष) है।
धृतराष्ट्रो नागभेदे पक्षिभेदे सुराजनि । दुर्योधनस्य जनके स्त्रीष्वसौ हंसयोषिति ॥ ६६६ ॥
मूल :
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