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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-दुर्विध शब्द | १६१ दौत्यव्यापारपारीण - दौत्यकर्म नियुक्तयोः ।
दूत्यं दूतस्वभावेऽपि दूतस्यभाव कर्मणोः ॥ ८८८ ॥ हिन्दी टीका-दुविध शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. निर्धन (गरीब) २. मूर्ख, ३ दुर्जन । दूत शब्द का अर्थ-१. वार्ताहर (संवाद पहुँचाने वाला) है। दूती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. सारिका (मैना) २. दौत्यव्यापारपारीण (दूतकर्म सम्बन्धी व्यागार पारंगत) ३. दौत्यकर्मनियुक्त (दूत कर्म के लिए नियुक्त) । दूत्य शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. दूतस्वभाव और २. दूतस्य भाव (दौत्य) तथा ३. कर्म (क्रिया)।
दूतस्त्रिपतप्ते स्यादध्वजातश्रमान्विते । दूषिका तूलिकायां च मले स्याल्लोचनस्य च ॥ ८८६ ॥ दुष्यं वस्त्रे दूषणीये पूये वस्त्रगृहेऽपि च ।
दृक् दर्शने मतौ नेत्रे वीक्षके ज्ञातरि त्रिषु ॥ ८६० ॥ हिन्दी टीका-त्रिलिंग दूत शब्द का अर्थ १. अध्वजातश्रमान्वित-उपतप्त (मार्ग में गमनजन्य परिश्रमयुक्त होने के कारण दुःखी सन्तप्त) होता है। दूषिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अथ माने जाते हैं-१. तूलिका (कंची, ब्रश) और २. लोचन मल (नेत्रमल कांची) । दूष्य शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. वस्त्र २ दुषणीय (दूषण करने योग्य) ३. पूय (अपवित्र वस्तु-पीप, पीज) और ४. वस्त्रगृह (तम्बू, कनात, उलोच) । दृक् शब्द त्रिलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - . दर्शन (देखना) २. मति (बुद्धि) ३. नेत्र (नयन, आँख) ४. वीक्षक (देखने वाला) ५. ज्ञाता (जानकार)। इस तरह हक शब्द के पाँच अर्थ समझना।
दृढं लोहे त्रिषु स्थूले प्रगाढे बलशालिनि । कठिनेऽतिशये पुंसि स्यादसौ रूपकान्तरे ॥ ८६१ ॥ दृढमूलो नारिकेले मुजे मन्थानके तृणे ।
दृतिश्चर्मपुटे मत्स्ये इन्भूः स्त्री-सर्प-चक्रयोः ॥ ८६२ ॥ हिन्दी टोका-नपुंसक दृढ़ शब्द का अर्थ–१. लोह (लोहा) होता है किन्तु त्रिलिंग दृढ़ शब्द के पांच अर्थ माने जाते हैं-२. स्थूल (जाड़ा-मोटा) ३. प्रगाढ़ (सघन) ४. बलशाली (बलवान) ५. कठिन (कठोर) और ६. अतिशय (अत्यन्त) परन्तु ७ रूपकान्तर (रूपक विशेष) अर्थ में दृढ़ शब्द पुल्लिग माना जाता है । दृढ़मूल शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं -१. नारिकेल (नारियल) २. मुञ्ज (मंज) ३. मन्थानक (मन्थन दण्ड) और ४. तृणदूर्वा (घास विशेष) को भी दृढ़मूल कहते हैं। दृति शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. चर्मपुट (मशक, चरस) और २. मत्स्य (मछली विशेष)। दृन्भू शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अथ माने गये हैं-१. सर्प और २. चक्र (पहिया)।। मूल : पुमानसौ सहस्रांशौ नृपतौ कुलिशेऽन्तके ।
दृशानः पुंस्युपाध्याये लोकपाले विरोचने ।। ८६३ ।। आचार्ये ब्राह्मणे क्लीवन्त्वसौ ज्योतिषि कीर्तितम् । , दृषद् निष्पेषण शिलापट्ट-पाषाणयोः स्त्रियाम् ॥ ८६४ ॥
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