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१५८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - दीनार शब्द
हिन्दी टीका - दीनार शब्द का और भी एक अर्थ होता है - १. निष्ठ (गिन्नी, आठ आना भर स्वर्णभूषण) । दीप शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. वर्तिस्थ ज्वलद्वैश्वानराचिष (जलते हुए दीप की बत्ती के अन्दर आग की अर्चिष् - ज्योतिशिखा ) । नपुंसक दीपक शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं१. कुंकुम ( सिन्दूर) २. वाक्यालंकार ( काव्य का अलंकार विशेष, दीपकालंकार) और ३. दीप्तिकारक (प्रकाश करने वाला पदार्थ) और पुल्लिंग दीपक शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं - १. रागभेद ( रोग विशेष, दीपक नाम का प्रसिद्ध राग ) २. यमानी ( जमाइन) और ३. लोचमस्तक ( अजमोदा नाम का औषध विशेष) एवं ४. दीप और ५. शशादन (बाज पक्षी) । दीपकज्जल को दीपकिट्ट (दीपमल) कहते हैं । दीपनो बहिचूडायां पलाण्डौ कासमर्दके । शालिञ्च तगरमूल- कुंकुमयोरपि ॥ ८७० ॥
मूल :
शाके
दीपनी मेथिका पाठा - यमानीषु स्मृता स्त्रियाम् ।
दीप्त स्त्रिलिंगो ज्वलिते दग्धे निर्भासितेऽप्यसौ । ८७१ ।।
हिन्दी टीका - पुल्लिंग दीपन शब्द के छह अर्थ माने गये हैं - १. बहिचूडा ( मोर की पाँख) २. पलाण्डु (प्याज डुंगरि) और ३: कासमर्दक ( गुल्म विशेष, एक प्रकार का वैसवार- मसाला छौंक, तरिपात तेजपत्र वगैरह ) एवं ४. शालिञ्चशाक (शरहच्ची शाक विशेष ) और ५. तगरमूल तथा ६. कुंकुम । स्त्रीलिंग दीपनी शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. मेथिका (मेथी) २. पाठा और ३ यमानी ( अजमा, जमाइन) । दीप्त शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. ज्वलित और २. दग्ध तथा निर्भा - सित ( प्रकाशित) । इस प्रकार दीप्त शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए ।
मूल :
क्लीवं स्याद् हिगुनिस्वर्णे पुमान् निम्बूक सिंहयोः ।
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लाङ्गलिका वृक्षे सातलापिण्ययोः स्त्रियाम् ||८७२ ॥
हिन्दी टीका - नपुंसक दीप्त शब्द का अर्थ - १. हिंगु ( हींग ) और पुल्लिंग दीप्त शब्द का अर्थ सोना होता है एवं निम्बुक और सिंह इन दोनों अर्थों में भी दीप्त शब्द पुल्लिंग ही माना गया है । स्त्रीलिंग दीप्ता शब्द के अर्थ तीन होते हैं - १. लाङ्गलिका वृक्ष (करिहारी) और २. सातला (सेहड़ शहर) तथा ३. पिण्य ( मालकांगनी) होता है ।
मूल :
दीप्तिः प्रभायां लाक्षायां कांस्य - लावण्ययोरपि ।
वाणवेगस्य तीव्रत्वे गुणे स्त्रीणामयत्नजे ॥ ८७३ ॥ दीर्घग्रीवोये नीलक्रौञ्चपक्षि- क्रमेलयोः ।
दीर्घदर्शी बुधे गृध्रो भल्लू के दूरदर्शके ॥। ८७४ ।।
हिन्दी टीका - दीप्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं - १. प्रभा (प्रकाश ज्योति) २. लाक्षा (लाख) ३. कांस्य (कांसा) ४. लावण्य ( सौन्दर्य विशेष ) ५. वाणवेगस्य तीव्रत्व (तीव्र वाण-वेग) और ६. स्त्रीणामयत्नज गुण (स्त्री का स्वाभाविक गुण कान्ति विशेष ) । दीर्घग्रीव शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. हय (घोड़ा) २. नीलक्रौञ्च पक्षी (नीले रंग का क्रौञ्च पक्षी विशेष ) और ३. क्रमेलक (ऊँट ) । दीर्घदर्शी शब्द भी पुल्लिंग है और उसके चार अर्थं माने गये हैं - १. बुध, २. गृध्र (गीध) ३. भल्लूक ( रीछ, भालू) और ४. दूरदर्शक ( दूरदर्शी - अत्यन्त बुद्धिमान ) ।
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