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१५२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-दर्दुर शब्द जाता है । दरत् शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. म्लेच्छ जाति, २. प्रपात (झरना गिरने का स्थान) ३. भय और ४. तीर (तट) और भी दरात् शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. हृदय (मन) और २ शैल (पहाड़) । अदन्त दरद शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१ म्लेच्छ (यवन) २. देशान्तर (देश विशेष) और ३. भय । दर्दुर शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं --१. राक्षस, २. भेक (मेढक) और ३. वाद्य भाण्ड विशेष (डफली) इस तरह दर्दुर शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिये। मूल : शैलभेदे दर्दु रा तु चण्डिकायां प्रयुज्यते ।
दर्प उच्छङ्खलत्वे स्यात् कस्तूर्यां गर्व उष्मणि ॥ ८३४ ॥ दर्पणो मुकुरे शैलविशेष - नदभेदयोः ।
क्लीबं सन्दीपने नेत्रे दो राक्षस-हिंस्रयोः ॥ ८३५ ।। हिन्दी टीका-दर्दुर शब्द का एक और भी अर्थ माना जाता है --१. शैलभेद (पर्वत विशेष) दर्दुरा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१ चण्डिका (दुर्गा काली) होता है। दर्प शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं- १. उच्छृङ्खलत्व (उच्छृङ्खलता) २. कस्तूरी और ३. गर्व (अहंकार) तथा ४. उष्मा (गर्मी उष्णता)। दर्पण शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. मुकुर (एनक दर्पण) २. शैल विशेष, ३. नदभेद (झील विशेष) । नपुंसक दर्पण शब्द का अर्थ-१. संदीपन और २. नेत्र (नयन आँख) होता है । दर्व शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. राक्षस और २. हिंस्रक (घातक) होता है।
दविका स्यात् खजाकायां कज्जलेऽपि बुधैःस्मृता । दर्भ: काशे कुशे दर्शोऽमवास्यायां विलोकने ।। ८३६ ॥ दर्शको द्रष्टरि द्वास्थे दर्शयितृ प्रवीणयोः ।
दर्शनं दर्पणे शास्त्रे बुद्धि धर्मोपलब्धिषु ॥ ८३७ ॥ हिन्दी टीका-दविका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. खजाका (करछुल्ली, करछु) और २. कज्जल (काजल)। दर्भ शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं—१. काश, (दाभ) २. कुश (दर्भ)। दर्श शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके भी दो अर्थ होते हैं—१. अमावास्या और २. विलोकन (देखना) । दर्शक शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. द्रष्टा (देखने वाला) २. द्वास्थ (द्वारपाल) और ३. दर्शयिता (दिखलाने वाला) तथा ४. प्रवीण (निपुण-दक्ष) । दर्शन शब्द नपुंसक है और उसके पांच अर्थ माने गये हैं-१. दर्पण (ऐनक ऐना) २. शास्त्र (दर्शनशास्त्र न्याय वगैरह) ३. बुद्धि (ज्ञान) और ४. धर्म तथा ५. उपलब्धि (प्राप्ति शोध अनुसन्धान) । मूल :
स्वप्ने निरीक्षणे वर्णे नयनेऽपि नपुंसकम् । दलं शस्त्रीच्छदे खण्डे घनउत्सेध-पत्रयोः ॥ ८३८ ॥ तमालपत्रेऽपद्रव्ये दलितं खण्डितेस्फूटे ।
दवो दावानलेऽरण्य उपतापेऽग्निमात्रके ॥ ८३६ ॥ हिन्दी टोका - नपुंसक दर्शन शब्द के और भी चार अर्थ माने गये हैं-१. स्वप्न, २. निरीक्षण
मूल :
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