________________
नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित- तीक्ष्णा शब्द | १४५
लता विशेष) और २. श्वेतवचा (सफेद वचा) तथा ३ वचा, इन तीनों अर्थों में भी तीक्ष्णगन्धा शब्द का प्रयोग होता है । इस प्रकार कुल मिलाकर तीक्ष्णगन्धा शब्द के छह अर्थ जानने चाहिए । तीक्ष्णा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. वचा, २ . अत्यम्लपर्णी ( लता विशेष, जिसका पत्ता अत्यन्त अम्ल - खट्टा होता है) और ३. महाज्योतिष्मती ( मालकांगनी नाम की प्रसिद्ध लता विशेष ) इस तरह तीक्ष्णा शब्द के तीन अर्थ समझना ।
मूल :
सर्पकङ्कालिकावृक्षे कपिकच्छावपि स्मृता । तुङ्गी बुधग्रहे शैले नारिकेले च गण्डके ॥
७६४ ॥
हिन्दी टीका - तीक्ष्णा शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. सर्पकङ्का लिका वृक्ष (वृक्ष विशेष) और २ कपिकच्छु (कवाछु जिसको शरीर में लगा देने से अत्यन्त खुजली होने लगती है) । तुंग शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. बुध ग्रह, २. शैल ( पहाड़ ) ३. नारिकेल ( नारियल) और ४. गण्डक ( गेंडा ) इस तरह तुंग शब्द के चार अर्थ समझना ।
मूल :
योगप्रभेदे पुन्नागवृक्षेऽसौ
त्रिषु तन्नते । प्रधाने क्लीवंतु किंजल्के विबुधैः स्मृतः ॥ ७६५ ॥ तुच्छं पुलाकजे क्लीबं हीने शून्यात्पयो स्त्रिषु । तुत्थं नीलाञ्जने वह्नौ पाषाणे च रसाञ्जने ॥ ७६६ ॥
हिन्दी टीका - पुल्लिंग तुङ्ग शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं । १. योगप्रभेद (योग विशेष, तुङ्ग नाम का समाधि विशेष) और २. पुन्नाग वृक्ष (नागकेशर का वृक्ष ) किन्तु १. उन्नत (ऊँचा) अर्थ में तुङ्ग शब्द त्रिलिंग माना जाता है क्योंकि पुरुष, स्त्री, साधारण कोई भी पदार्थ ऊँचा हो सकता है। इसी तरह २. उग्र (तीव्र) और ३. प्रधान अर्थों में भी तुंग शब्द त्रिलिंग ही माना गया है । परन्तु १. किंजल्क (पराग पुष्प रज) अर्थ में तुंग शब्द नपुंसक ही माना गया है। तुच्छ शब्द १. पुलाकज ( धान का भुस्सा) अर्थ में नपुंसक माना जाता है किन्तु २. हीन और ३ शून्य तथा ४. अल्प (थोड़ा ) इन तीनों अर्थों में तुच्छ शब्द त्रिलिंग माना जाता है । तुत्थ शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १ नीलाञ्जन, २. वह्नि (अग्नि- आग) ३. पाषाण (पत्थर) तथा ४. रसाञ्जन (आँख में लगाने का अञ्जन विशेष ) ।
मूल :
Jain Education International
नीलीवृक्ष - महानीली- क्षुद्रैलासु स्त्रियां मता । अस्त्रियां तुम्बुरुः स्वर्गगायके ऽर्हदुपासके || ७६७ ॥ गन्धर्वे फल वृक्षेऽथ तुरगश्चित्त-वाजिनोः । तुरुष्क: सिल के म्लेच्छ्जाति - देशविशेषयोः ॥ ७६८ ॥
हिन्दी टोका - स्त्रीलिंग तुत्थ शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-- १. नीलीवृक्ष २. महानीली और ३. क्षुद्रएला (छोटी इलाइची ) । तुम्बुरु शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ हैं - १. स्वर्गगायक (स्वर्गलोक का गवैया - गन्धर्व विशेष) और २. अर्हत् - उपासक (भगवान अर्हन् तीर्थङ्कर का उपासक) । इसी प्रकार ३. गन्धर्व और ४ फलवृक्ष (टिमरू) इन दोनों अर्थों में भी तुम्बुरु शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना गया है । तुरग शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. चित्त (मन
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org