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१४० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-ताम्रपट्ट शब्द है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. स्वर्ण (सोना) २. सारस (सारस नाम का पक्षी विशेष) और ३. पद्म (कमल) तथा ४. ताम्र । तामसी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. जटामांसी, २. दुर्गा और ३. कृष्णनिशा (काली रात)। ताम्रकूट शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ१. तमाखु (तम्बाकू जर्दा) होता है । ताम्रकार शब्द का अर्थ-ताम्रिक (ताम्र को बनाने वाला) इस प्रकार ताम्रकूट और ताम्रकार शब्द का एक-एक अर्थ होता है। मूल : ताम्रपट्ट ताम्रपत्रस्ताम्रनिर्मितपत्रके ।
ताम्रिकः कांस्यकारे स्यात् त्रिलिंगस्ताम्रनिर्मिते ॥ ७६५।। ताम्बूल पात्रे ताम्बूलकरङ्कः सद्भिरीरितः।
तारं रूप्ये च मुक्तायां तारः स्यात् शुद्ध मौक्तिके ।। ७६६ ॥ हिन्दी टीका नपुंसक ताम्रपट्ट और पुल्लिग ताम्रपत्र शब्द का अर्थ–१. ताम्रनिर्मितपत्रक (ताँबे का बनाया हुआ पत्र विशेष होता है जिसको ताम्रपत्र कहते हैं)। ताम्रिक शब्द पुल्लिग है और उमका अर्थ -कांस्यकार (कांसा को बनाने वाला) होता है, किन्तु ताम्र निर्मित अर्थ में ताम्रिक शब्द त्रिलिग माना जाता है । ताम्बूलकरङ्क शब्द का अर्थ-ताम्बूल पात्र (पनबट्टो) होता है। नपुंसक तार शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं -१. रूप्य (रुपया) और २. मुक्ता (मोती) किन्तु पूल्लिग तार शब्द का अर्थ१. शुद्धमौक्तिक (शुद्ध मोती) होता है । इस प्रकार तार शब्द का तीन अथ जानना। मूल : मुक्ता विशुद्धौ प्रणवे तरणे वानरान्तरे ।
कूर्च बीजे त्रिलिंगस्तु निर्मलाऽत्युच्च शब्दयोः ॥ ७६७ ॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग तार शब्द के और भी पाँच अर्थ होते हैं-१. मुक्ताविशुद्धि, २. प्रणव (ओंकार) ३. तरण (तैरना) और ४. वानरान्तर (वानर विशेष) और ५. कूर्च बोज। किन्तु १. निर्मल और २. अत्युच्च शब्द (अत्यन्त शोर) इन दोनों अर्थों में तार शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : तारको भेलके कर्णधारे दैत्यान्तरे पुमान् ।
कनीनिकायां नक्षत्रे नना क्लीवं तु लोचने ।। ७६८ ॥ ताराऽक्षिमध्ये नक्षत्रे मुक्तायां बालियोषिति ।
बृहस्पतिस्त्रियां बुद्धदेवताभेद - चीडयोः ॥ ७६६ ॥ हिन्दी टीका-तारक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१ भेलक २. कर्णधार (नाविक केवट) और ३. दैत्यान्तर (दैत्य विशेष) किन्तु ४. कनीनिका (आँख की पुतली) ५. नक्षत्र (तारागण) इन दोनों अर्थों में तारक शब्द स्त्रीलिंग तथा नपुंसक माना जाता है परन्तु ६. लोचन (आंख) अर्थ में तारक शब्द नपुंसक माना गया है। तारा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ माने गये हैं१. अक्षिमध्य (आँख का मध्य भाग) २. नक्षत्र (अश्विनी वगैरह) ३. मुक्ता (मोती) ४. बालियोषित् (बालि की स्त्री) एवं ५. बृहस्पति-स्त्री (बृहस्पति की स्त्री) तथा ६. बुद्ध देवता भेद (भगवान बुद्ध देवता विशेष) और ७ चीड । इस प्रकार तारा शब्द के सात अर्थ जानना। मूल
उग्रताराभिधानायां शक्तौ तारापतिः शिवे । चन्दिरे बालि-सुग्रीव बृहस्पतिषु कीर्तितः ।। ७७० ॥
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