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१२६ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-जीमूत शब्द
जीवोऽसूधारणे वृत्तौ शरीरिणि बृहस्पतौ।
क्षेत्रज्ञ कर्णयोवृक्ष विशेषेऽथौषधान्तरे ॥ ६८३ ॥ हिन्दी टीका -जीमूत शब्द के और भी तीन अर्थ माने गये हैं- १. कुरुविन्द (मोथा) और २. भृतिकर (नौकर) तथा ३. घोषक (सफेद फूल वाली तोरई-झिमनी) । जोर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. जीरक (जोरा) और २. खड्ग (तलवार)। जीर्ण शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं-१ वृद्ध (बुड्ढा) २. पुरातन (पुराना) । जीव शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ होते हैं -१. असुधारण (प्राण को धारण करने वाला) २. वृत्ति (जीविका) ३. शरीरी (शरीरधारी आत्मा) और ४. बृहस्पति, ५. क्षेत्रज्ञ (जीवात्मा) ६ कर्ण (कान) और ७. वृक्ष विशेष (बन्धूक पुष्प)। जीवक शब्द का एक अर्थ-१. औषधान्तर (औषध विशेष) को भी समझना चाहिए। मूल :
प्राणके क्षपणे पीतशालेऽपि जीवकः पुमान् । जीवि-सेवक-वृद्धाशि-व्यालग्राहिष्वसौ त्रिषु ॥ ६८४ ॥ जीवंजीवश्चकोराख्यपक्षि - वृक्ष विशेषयोः ।
जीवथः कच्छपे प्राणे मयूरे धामिकेऽम्बुदे ॥ ६८५ ।। हिन्दी टोका -पुल्लिग जीवक शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं.-१. प्राणक (प्राण धारण करने वाला) २. क्षपण (संन्यासी) और ३. पोतशाल (बन्धूक पुष्प)। किन्तु–१. जीवी (जीने वाला) २. सेवक (भृत्य नौकर) ३. वृद्ध (बुढ्ढा) ४. अशी (भोजन करने वाला) और ५. व्यालग्राही (सर्प को पकड़ने वाला - सपेरिया) इन पाँच अर्थों में जो वक शब्द त्रिलिंग माना जाता है। जीवंजीव शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१ चकोराख्य पक्षी (चकोर पक्षी जोकि चन्द्र का प्रिय होता है) और २. वृक्ष विशेष (जीवंजीव नाम का वृक्ष विशेष) । जीवथ शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. कच्छप (काचवा, काछु) २. प्राण, ३. मयूर (मोर) ४ धार्मिक (धर्मात्मा पुरुष) और ५. अम्बुद (मेघ बादल)। मूल : चिरायौ जीवदो वैद्ये रिपो जीवनदातरि ।
जीवनं सलिले वृत्तौ मज्ज हैयङ्गवीनयोः ॥ ६८६ ॥ जीवितेऽथ पुमान् वाते पुत्रे क्षुद्रफलद्रुमे ।
जीवन्तिका हरीतक्यां गुडूची जीवशाकयोः ।। ६८७ ॥ हिन्दी टीका-जीवद शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. चिरायु (दीर्घजीवी) २. वैद्य, ३. रिपु (शत्र ) ४. जीवन दाता (प्राण दाता)। जीवन शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. सलिल (जल, पानी) २. वृत्ति (जीविका) ३. मज्ज (मज्जा) और ४. हैयङ्गवीन (मक्खन) तथा ५. जीवित । पुल्लिग जीवन शब्द के तीन अर्थ होते हैं--१. वात (पवन) २. पुत्र, ३. क्षुद्रफलद्र म (छोटा फल वाला वृक्ष)। जीवन्तिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. हरीतको (हरे) २. गुडूची (गिलोय) और ३. जीवशाक (जीव नाम का शाक विशेष) शरच्ची शाक जोकि अत्यन्त पथ्यकारक होता है) उसको भी जीवन्तिका कहते हैं।
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