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१०२ / नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-चक्र शब्द
हिन्दी टोका- चक्र शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं-१. कुम्भकारोपकरण (कुम्भकार का उपकरण, घट बनाने का साधन विशेष, जिसको चक्की कहते हैं जिस पर घड़ा बनाया जाता है उसको भी) चक्र कहते हैं । और २. दम्भभेद (छल कपट चक्र चालि कूटनीति वगैरह) और ३. समूह (संघ समुदाय) को भी चक्र शब्द से व्यवहार करते हैं। चक्रवर्ती शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं१. सार्वभौम (चक्रवर्ती राजा) और २. वास्तूक (वथुआ साक विशेष) किन्तु स्त्रीलिंग चक्रवर्तिणी शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. अलक्तका (अलता, मेंहदो) २. जटामांसी और ३. गन्धद्रव्य विशेष । चक्रवाक शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. रात्रि विश्लेषी विहङ्गम (रात में बिछुड़ने वाला पक्षी विशेष जिसको चकवा चकवी कहते) हैं । मूल : चक्रवाटस्तु पर्यन्ते क्रियारोहे शिखातरौ ।
चक्रवातस्तु वात्यायां चक्रवालन्तु मण्डले ॥ ५४८ ॥ वृद्ध रपि पुनर्वृद्धौ चक्रवृद्धिरुदाहृता ।
चक्राङ्गी कटुरोहिण्यां हंसीमञ्जिष्ठयोरपि ॥ ५४६ ॥ हिन्दी टोका-चक्रवाट शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. पर्यन्त (अन्तिम सीमा अवधि) २. क्रियारोह (क्रिया परम्परा) और ३. शिखातरु (वृक्ष विशेष) । चक्रवात शब्द भी पुल्लिग है और उसका अर्थ- १. वात्या (आँधी तूफान) होता है । चकवाल शब्द का अर्थ-१. मण्डल (गोलाकार) होता है । चक्रवृद्धि शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ वृद्ध: पुनर्वृद्धिः (ब्याज का ब्याज सूद-दर-सूद जिसको चक्रवर्ती ब्याज कहते हैं)। चकाङ्गो शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कटुरोहिणी (कुटको) २. हंसी (मराली) और ३. मञ्जिष्ठा (मजीठा रंग)। इस प्रकार चक्राङ्गी के तीन अर्थ हुए । मूल : हिलमोच्यां कुलिंग्यां वृषपर्ध्यामपि स्मृता ।
चक्री विष्णौ चक्रवाके वायसे ग्रामजालिके ।। ५५० ॥ तिनिशे सूचके सर्प चक्रवर्तिनि गर्दभे । चक्रमर्दे व्यालनखे तैलिके चक्र संयुते ।। ५५१ ।। अजं च कुम्भकारेऽथचङ्गः शोभन दक्षयोः ।
चञ्चरीको मधुकरे चञ्चरी भ्रमरा स्त्रियाम् ॥ ५५२ ।। हिन्दी टीका-चक्राङ्गी शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. हिलमोची (हिल साल) २. कुलिङ्गी और ३. वृषपर्णी (लता विशेष) । चक्रो शब्द पुल्लिग है और उसके तेरह अर्थ माने जाते हैं१. विष्णु (भगवान विष्णु) २. चक्रवाक (चकवा पक्षी) ३. वायस (काक) ४. ग्रामजालिक (ग्राम समूह) ५. तिनिश (वजुल, तिनिश शब्द प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) ६. सूचक, ७, सर्प, ८. चक्रवर्ती (सार्वभौम राजा) ६. गर्दभ (गदहा रासभ) १०. चक्र मर्द, ११. व्याल नख १२. तैलिक (तेली, घांची) और १३. चक्रयुत (चक्र पहिया से युक्त गाड़ी रथ वगैरह)। इस प्रकार चक्रो शब्द के कुल तेरह अर्थ जानना चाहिये । इसी प्रकार चक्री शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं-१. अज (बकरा) और २. कुम्भकार (कुम्हार कुलाल)। चङ्ग शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. शोभन (सुन्दर अच्छा बढ़िया) और २. दक्ष (निपुण, कुशल)। चञ्चरीक शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. मधुकर (भ्रमर) होता है। चञ्चरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. भ्रमर-स्त्री (भ्रमर को स्त्री-भ्रमरी) होता है।
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