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४९४ : जैन पुराणकोश
परिशिष्ट
तीर्थकर-१,
नाम गणधर
. सन्दर्भ
वृषभसेन कुम्भसेन
दृढ़रथ
११.
शतधनु देवशर्मा देवभाक् नन्दन सोमदत्त सूरदत्त वायुशर्मा यशोबाहु देवाग्नि अग्निदेव अग्निगुप्त मित्राग्नि हलभृत् महीधर महेन्द्र वसुदेव
१२.
७.गोत्र२-उच्च और नीच ।
हपु० ५८.२७९ ८. अन्तरायाय
५-दानान्तराय, लाभान्तराय, भोगान्तराय, उपभोगान्तराय, हपु० ५८.२४३-१७८ वीर्यान्तराय।
हपु० ५८.२८०-२८२ वृषभदेव के क्रमानुसार चौरासी गणधर महापुराण के अनुसार
हरिवंशपुराण के अनुसार सन्दर्भ
क्र० नाम गणधर मपु० ४३.५४
वृषभसेन
हपु० १२.५५ कुम्भ दृढ़रथ शत्रुदमन देवशर्मा धनदेव
हपु० १२.५६ मपु० ४३.५५
नन्दन सोमदत्त
सुरदत्त १०. वायुशर्मा
हपु० १२.५७ सुबाहु १२. देवाग्नि
१३. अग्निदेव मपु० ४३.५६
१४. अग्निभूति तेजस्वी
हपु० १२.५८ अग्निमित्र
हलधर १८.
महीधर माहेन्द्र
वसुदेव .५७
वसुन्धर अचल
हपु० १२.५९ मेरु भूति सर्वसह
यज्ञ ४३.५८
सर्वगुप्त २८. सर्वप्रिय
हपु० १२.६० सर्वदेव ३०. विजय ३१. विजयगुप्त ३२. विजयमित्र विजयश्री
हपु० १२.६१ पराख्य
१४.
१५.
१७.
१७.
१८.
वसुन्धर
२०. २१. २२.
२३.
२४.
२६.
२६. २७. २८.
अचल मेरु मेरुधन मेरुभूति सर्वयश सर्वयज्ञ सर्वगुप्त सर्वप्रिय सर्वदेव सर्वविजय विजयगुप्त विजयमित्र विजयिल अपराजित
२९.
२९.
३०.
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३१.
३
.५९
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