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कलकत्ता निवासी
साधुचरित-श्रेष्ठिवर्य श्रीमद् डालचन्दजी सिंघी पुण्यस्मृतिनिमित्त
प्रतिष्ठापित एवं प्रकाशित
सिंघी जैन ग्रन्थमाला
[जैन आगमिक, दार्शनिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, कथात्मक - इत्यादि विविधविषयगुम्फित ; प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, प्राचीनगूर्जर - राजस्थानी आदि नानाभाषानिबद्ध; सार्वजनीन पुरातन वाङ्मय तथा नूतन संशोधनात्मक साहित्य प्रकाशिनी सर्वश्रेष्ठ जैन ग्रन्थावलि । ]
प्रतिष्ठापक तथा प्रकाशयिता
श्रीमद्-डालचन्दजी- सिंघीसत्पुत्र दानशील-साहित्यरसिक - संस्कृतिप्रिय
श्रीमान् बहादुर सिंहजी सिंघी
भूतपूर्व अध्यक्ष जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स (बंबई, सन् १९२६ ) ; संस्थापक-सदस्य, भारतीय विद्याभवन ;
लॉ ऑफ् धी रॉयल सोसायटी ऑफ् आर्टस्, लन्दन; सदस्य-धी रॉयल एसियाटिक सोसायटी ऑफू बँगाल ; घी इन्डियन रिसर्च इन्स्टिट्यूट, कलकत्ता ; धी न्युमेस्मेटिक सोसायटी
ऑफ इन्डिया ; बङ्गीय साहित्य परिषद् इत्यादि, इत्यादि ]
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सम्मान्य कार्यवाहक
श्रीयुत राजेन्द्र सिंह जी सिंघी
संचालक तथा प्रधान-सम्पादक
श्री जिन विजय मुनि
आचार्य - भारतीय विद्या भवन - बंबई
[ सम्मान्य सभासद - भाण्डारकर प्राच्यविद्या संशोधन मन्दिर पूना; एवं गुजरात साहित्यसमा अहमदाबाद; भूतपूर्वाचार्य - गुजरात पुरातत्त्वमन्दिर अहमदाबाद; सिंघी ज्ञानपीठनियामक एवं जैनवाङ्मयाध्यापकविश्वभारती, शान्तिनिकेतन; तथा, जैन साहित्यसंशोधक ग्रन्थावलि - पुरातत्त्वमन्दिर ग्रन्थावलि - भारतीय विद्या ग्रन्थावलि -आदि नाना ग्रन्थमाला प्रकाशित संस्कृत- प्राकृत- पाली - अपभ्रंशप्राचीन गूर्जर - हिन्दी-भाषामय- अनेकानेक ग्रन्थ संशोधक - सम्पादक । ]
व्य व स्था प क तथा प्रकाश क
भारतीय विद्याभवन
बंबई
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