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Others.
NK. 50
BRHAT-KATHAKOŚA Nos.' Bhagavati Ārādhanā
HK. SK. PK. [1357] माणुसमंसपलत्तो कंपिल्लवदी तधेव भीमो वि। 115 1405
रजभंट्टो णट्ठो मदो य पच्छा गदो णिश्यं ॥ [1358] चोरो वि तह सुवेगो महिलारूवम्मि रत्तदिट्रीओ। 116 141
विद्धो सरेण अच्छीसु मदो णिरयं च संपत्तो॥ [1359] फासिदिएण गोवे सत्ता गिहवदिपिया विणासके। 117 141 57
मारेदूण सपुत्तं धूयाए मारिदा पच्छा।
वि- गिहवदिपिया राष्ट्रकूटभार्या । [1374] बारवदी य असेसा दीवायणेण रोसेण । 11814258
बद्धं च तेण पावं दुग्गदिभयबंधणं घोरं ॥ [1381] सद्धिं साहस्सीओ पुत्ता सगरस्स रायसीहस्स। 119 14359
अदिबलवेगा संता णट्ठा माणस्स दोसेण ॥ [1388] सस्सो य भरधगामस्स सत्तसंवच्छराणि णिस्सेसो।
दडो डंभणदोसेण कुंभकारेण रुटेण ॥ [1392] सन्धे वि गंथदोसा लोभकसायस्स हुंति णादव्वा। 121
लोभेण चेव मेहुणहिंसालियचोजमाचरदि ॥ [1393] रामस्स जामदग्गिरस वजं वित्तण कत्तिविरिओ वि।
णिधर्ण पत्तो सकुलो ससाहणो लोभदोसेण ॥ [1518] को णाम भडो कुलजो माणी थोलाइदण जणमझे। 123
जुज्झे पलाइ आवडिदमेत्तओ चेव अरिभीदो॥ [1526] गाढप्पहारसंताविदा वि सूरा रणे अरिसमक्खं । 124 145
ण मुहं भंजंति सगं मरंति भिउडीए सह चेव ॥ [1528] केई अग्गिमदिगदा समंतओ अग्गिणा वि उज्झता। 125
जलमज्झगदा व णरा अच्छंति अचेदणा चेव ॥ [1539] भल्लंकीए तिरत्तं खजंतो घोरवेदणहो वि। 126 14563
आराधणं पवण्णो झाणेणावंतिसकुमालो॥
1486
58
[1540] मोग्गिलगिरिम्म यसकोसलोविसिद्धत्थदइयभयवंतो।127
वग्धीए वि खज्जतो पडिवण्णो उत्तम अटै॥
= Bh. 160
M. 435-9 S.65-6
v.1 = Bh. 161
M. 466-7 S.63-4 V.2 S. 87 V. 3 V.4
S.56-7
V.5
[1541] भृमीए समं कीलाकोहिददेहो वि अल्लचर्मव। 128 15265
___ भयवं पि गयकुमारो पडिवण्णो उत्तम अटुं॥ [1542] कच्छुजरखाससोसो भत्तच्छद्दच्छिकुच्छिदुक्खाणि। 129 152 3,66
अधियासियाणि सम्मं सणकुमारेण चालसयं ॥ [1543] णावाए णिब्बुडाए गंगामज्झे अमुज्झमाणमदी। 130 15367
आराधणं पवपणो कालगओ एणियापुत्तो॥ [1544] ओमोदरिए घोराए भद्दबाह असंकिलिहमदी। 131 15368
घोराए तिगिंछाए पडिवण्णो उत्तमं ठाणं॥ [1545] कोसंबीललियघडा बूढा गइपूरएण जलमज्झे।
132 15569 आराधणं पवण्णा पाओवगदा अमूडमदी॥* [1546] चंपाए मासखमणं करित गंगावडम्मि तन्हाए। .198 15570
घोराए धम्मवोसो पविण्यो उधाण
v.6
S.79-80 V.7 V.8
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