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देशी शब्दकोश
असीमालिका – कंठ का आभूषण (अंवि पृ १६२ ) ।
अह - दुःख (दे ११६ ) ।
अहट्ट - आडम्बर, उपाधि ( आवचू १ पृ ४४६ ) ।
अहर-असमर्थ (दे १।१७) ।
अहवण - १ अथवा - ' अहवण' त्ति अखण्डमव्ययं अथवार्थे वर्त्तते' ( बूटी पृ ३०३ ) । २ वाक्यालंकार में प्रयुक्त होने वाला अव्यय । अहव्वा - असती, कुलटा (दे १।१८ ) । अहासंथड - - - निष्कम्प, निश्चल - ' अहासंथडं नाम णिप्पकंपं' ( निचू २ पृ १७० ) ।
अहिअल --- कोप, क्रोध (दे १।३६ ) |
अहिआर - लोकयात्रा, लोक व्यवहार, जीवन-यात्रा (दे १।२९ ) । अहिक्खण - १ उपालंभ ( दे ११३५) । २ बार - बार - 'अभीक्ष्णमित्यन्ये' (वृ) ।
अहिगर - अजगर ( जीव १ ) |
अहिगरणसाला - लोहकारशाला (भटी पृ १२८२) ।
अहिगरणिखोsि - अहरन को रखने का काष्ठ- विशेष (भटी पृ १२८२) । अहिगरी - अजगरी ( जीव २ ) ।
अहिड्डु --- पीड़ित (पा ५४६) ।
अहिका - सांप की एक जाति (अंवि पृ २२६) ।
अहिका - सर्पिणी (अंवि पृ ६९ ) 1
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अहिपच्चइअ - १ अनुगमन, पीछे-पीछे चलना (दे ११४९ ) । २ आयात,
आगत ।
अहिमर - - १ वधक ( निचू ३ पृ ३७) । २ आघात करने वाले चोर, अश्व आदि को चुराने वाले चोर - ' अहिमरा णाम दद्दरचोरा, अस्सहरणं वा मारणं वा काउकामा ' ( निचू १ पृ ५३) ।
अहिमार - पुष्प फल वाला वृक्ष - विशेष (अंवि पृ २३२ ) । अहिमारु -- वृक्ष - विशेष - एगं अहिमारुदारुयं ' ( उशाटी प १४३ ) । अहिरिक्क — उत्त्रास, भय (व्यभा ३ टी प ६२ ) ।
अहिरीअ - निस्तेज, फीका (दे १।२७) । अहिरेमइअ --- पूर्ण, भरा हुआ ( पा १४२ ) । अहिलाण - मुख का बन्धन- विशेष (भटी पृ८८२) ।
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