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देशी शब्दकोश
अपुप्फिय-स्वच्छ, सुगंधित (बृभा ४३८) । अपोल-पोल रहित, अशुषिर (पंवटी' प ६७) । अपोल्ल-अशुषिर, निबिड (प्रसा ६७४) । अप्प-पिता (दे ११६)। अप्पगुत्ता-कपिकच्छू, कवाछ, (दे ११२६)। अप्पजूहिअ-पके हुए चावल आदि (आटी प ३३४)। अप्पज्झ--आत्मवश, स्वस्थचित्त (बृभा ३७३२; दे १११४) । अप्पत्तिय-१ अप्रीति । २ अविश्वास (दश्रु ६।४)। अप्पण्ण-आत्मरक्षा में तत्पर, स्वयं को बचाने में तत्पर (बृभा १९५३) । अप्पसत्थभ-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । अप्पाह--संदेश (व्यभा ७ टी प २६) । अप्पाह?--जानकर, कहकर (सू २।१।१२) । अप्पाहण-संदेश (बृभा २३६)। अप्पाहणी-संदेश (पिनि ४३०)। अप्पाहित-संदिष्ट (बृभा ३२८४) । अप्पाहिय--संदिष्ट (बृटी पृ ७४) । अप्पोया-आस्फोता, वल्ली-विशेष (प्रज्ञा ११४०) । अप्पोल-पोल रहित (निभा २१७०) । अप्पोल्ल-पोल रहित, निगर (ओभा ३२२) । अप्फचिय--अपरिचित (निचू ३ पृ ३३७) । अप्फच्चित-अपरिचित (निचू २ पृ ११७)। अप्फाया--वनस्पति-विशेष (जीवटी प ३५१) । अप्फुण्ण--१ पूर्ण, भरा हुआ (विपा १।२।५३; दे ११२०) । २ आक्रांत,
स्पृष्ट (अनुद्वाचू पृ ५६)। ३ आच्छादित (से २१४)। अप्फुन्न--आपूर्ण, स्पृष्ट, आक्रान्त (अनुद्वा ४३६) । अप्फेया-आस्फोता, वल्ली-विशेष (प्रज्ञा ११४०) । अप्फोता-वनस्पति-विशेष (जीव ३।२६६)। अप्फोतिका वनस्पति-विशेष (अंवि पृ ७०) । अप्फोय-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ६३)। अप्फोया-१ वनस्पति-विशेष (राज १८४) । २ वल्ली-विशेष .
(प्रज्ञा ११४०।३)।
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