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परिशिष्ट २ चय (शक्)--समर्थ होना (सू १॥३॥१८) । चय (त्यज्)- छोड़ना (आ ६।२६) । चव (कथय)-कहना (प्रा ४।२)। चहुट्ट-चिपकना, लगना।। चाह (वाञ्छ)-१ चाहना । २ अपेक्षा करना । ३ याचना करना । चिंच (मण्डय)-विभूषित करना (प्रा ४।११५) । चिंचअ (मण्डय)-विभूषित करना (प्रा ४।११५) । चिचिल्ल (मण्डय)-मंडित करना (प्रा ४।११५) । चिच्च (त्यज्)-छोड़ना (उ १४।५०) । चिट्ठ (स्था)-ठहरना (आ २।६६) । चिड्डु----गीला होना। चिप्प-१ कूटना (बृभा ३६७५) । २ दबाना । चिम्मक-१ चमत्कृत करना । २ घूमना । चिरमाल (प्रति+पालय)-परिपालन करना । चिराव-विलंब करना। चिलिचिल-पक्षी का आवाज करना (कु पृ ८२) । चिलिस---घृणा करना। चिल्लूप (कांक्ष) --इच्छा करना । चीर-चीरना। चुक्क (भ्रंश्)-१ स्खलित होना (उशाटी प १४६) । २ वञ्चित होना ।
३ नष्ट करना (प्रा ४।१७७)। चण (चि)--चुगना, पक्षियों का खाना (प्रा ४।२३८)। चमचम--तोते का शब्द करना। चुलचुल-१ स्पंदित होना, फडकना (कु पृ २२१) । २ उत्सुक होना । चुलुचल (स्पन्द)--फरकना, स्पन्दित होना (प्रा ४।१२७)। चुलुवुल-स्फुरित होना-'कुऊहलं चुलुवुलेइ' (कु पृ ११६)। • चुल्लुच्छल-छलकना, उछलना (सूचू १ पृ १६४) देखें-छुल्लुच्छल । • चुहुट्ट-चिपकना, लगना । चेव-जागना। चोपय-चुगली करना (दश्रुचू प ४०)।
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