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आरोल (पुज)-एकत्र करना (प्रा ४।१०२) । आलिह (स्पृश)-स्पर्श करना (प्रा ४११८२) । आलुख (स्पृश)-स्पर्श करना (प्रा ४।१८२) । भालुंख (वह)- अलाना (प्रा ४।२०८) । भालुंघ (स्पृश्)-छूना। आलुक्ख (स्पृश्)-छूना। आलुक्ख (वह)-जलाना । माव (आ+या)—आना, आगमन करना। आवयास (उप+गह )-आलिंगन करना। आसंघ-आश्रय लेना-'आ+श्रि इत्यर्थे देशी।' मासंघ (सं+भावय)-१ संभावना करना । २ अध्यवसाय करना।
३ निश्चय करना (से १५॥६०)। भासगल-१ आक्रान्त करना । २ प्राप्त करना। आसर-सम्मुख आना। आह (कांक्ष)-अभिलाषा करना (प्रा ४।१९२) । आह (ब)-कहना। आहम्म (गम्)-गमन करना, जाना (प्रा ४।१६२) । आहल्ल-हिलना, चलना। आहड-गिरना (दे ११६६ व)। माहोड (तास्य)-ताउन करना (प्रा ४।२७) ।
इंघ-सूधना। इग्घ-तिरस्कृत करना। इज्झा (इन्ध्)-चमकना (प्रा २१२८) । इल्ल-आसिक्त करना, सींचना ।
ईजिह-तृप्त होना। ईस-वश में करना।
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