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________________ ૪૬૪ देशी शब्दकोश गोमिआ-कनखजूरा, श्रीन्द्रिय घणंवाहिन-इन्द्र जन्तु-विशेष घणघण-सातिशय गोय-उदुम्बर, गूलर आदि का फल घणघणा-रथ के चक्कों की गोर-१ ग्रीवा । २ आंख । ध्वनि ३ हल की रेखा, सीता घत्ति-शीघ्र गोरडित--स्रस्त, ध्वस्त घत्तिय-प्रेरित गोरप्पडिआ-गोधा घत्थ-ग्रस्त गोरिहिअ-त्रस्त घरघरग-ग्रीवा का आभूषण गोला-गाय घरफरि-धरपटक करना गोसाविआ-१ वेश्या। २ मूर्ख- घलंजिया-गृहदासी-गृहदासीत्यर्थे जननी देशी गोसिय-प्राभातिक, प्रातःकाल- घल्लय-द्वीन्द्रिय जीव की एक सम्बन्धी जाति गोहत्तण-पौरुष घल्लियय-क्षिप्त गोहली-गोधूमाली घल्लोय-द्वीन्द्रिय जंतु-विशेष घवक्कड़-उद्दीप्त घसणिअ-बन्विष्ट, गवेषित घअअंद-दर्पण घाडेरुय-१ खरगोश की एक घई---शीघ्रवाची अव्यय __ जाति । २ बन्धन-च्युत घंघलिअ-घबराया हुआ घाणय-कोल्हू, घाणी घंचिय-तेली (घांची-गुज) घार-१ गीध । २ प्राकार घग्घत्थण-खेद घारिअ-जहर आदि के कारण घग्घर-१ घरघराहट । २ क्षुद्र होने वाली सुषुप्ति घंटिका । ३ घाघरा चित्त-१ गृहीत । २ क्षिप्त घग्घरय-क्षुद्रघण्टिका घित्तय-क्षिप्त घग्घरा-क्षुद्र घंटिका-किंकिणी | घिरिहोल-मक्खी शब्दार्थे देशी घिवण-क्षेपण घटेंसुअ-वस्त्र-विशेष, बूटेदार धुंधुस्सिअ--निःशंक कथन कौसुम्भ-वस्त्र घुग्घरय-उल्लू की आवाज घड-सृष्टीकृत, बनाया हुआ घुग्घुरुड-राशि, ढेर घडइय-संकुचित घुग्घुस-धू-धू शब्द करने वाला घडाघडी-गोष्ठी, सभा घुग्घुस्सुम-निःशंक होकर गया घण-बहुत हुआ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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