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________________ ४५१ परिशिष्ट १ उदूलिय–अवनत उप्पेलिअ-उन्नमित उद्दअ-श्रान्त, थका हुआ उप्फाल–पटह-ध्वनि उद्दच्छिअ-निषिद्ध उप्फालिअ--१ कथित । २ सूचित उदाण-१ कुरर । २ सगर्व । ३ उप्फेर-भय प्रतिध्वनि उप्फोडिआ-संवारी हुई उद्दारिअ--उत्खात उब्बाल-अध्यासित, सहन किया हुआ उद्दालिअ-१ रणद्रुत । २ झपटना उब्बिबिर-खिन्न, उद्विग्न उद्धअ-शान्त, ठंडा उब्बुडुणनिब्बडण-उन्मज्जनउद्धच्छ-लिप्त निमज्जन उद्धण-उद्ध त, अविनीत उद्धरिअ-१ पीडित । २ विनाशित उब्भग्ग-मुंडित उद्धल-दोनों तरफ की अप्रवृत्ति उब्भिट्ट- उच्छिन्न उद्धव-प्रमोद, उत्सव उभिय-ऊचा किया हुआ उद्धारय-उधार पर खरीदना उम्मंथिय-दग्ध, जला हुआ उद्धधलिय-धुंधलाया हुआ उम्मत्तय-धतूरे का फल उद्धधुल-धुंधला उम्माहय-अत्याकांक्षा से उत्पन्न उद्धृसिअ-रोमांचित व्याकुलता उद्धृ लिअ-अवनत उम्माहिम-उत्साहित, उत्कंठित उप्पंग- समूह, राशि उम्मिठ-हस्तिपक-रहित, महावतउप्पक्किआ-धोबिन ___रहित उप्पड्डिअ-नष्ट उम्मिट्ट-बाहर निकला हुआ उप्पत्त-१ गलित । २ विरक्त उम्मेंठ-महावत-रहित उप्पद्द-घर, गृह उम्मे?-महावतरहित उप्परवट्ट--श्रेष्ठ उय्यकिअ-इकट्ठा किया हुआ उप्पा-मणि आदि रत्नों पर 'ओप' उरअ-ऋजु चढाना उरणी-पशु उप्पालअ-रणरणक, कामदेव उरविय-१ आरोपित । २ खण्डित उप्पिअ-१ अपहृत । २ रुष्ट । ३ उरितिय-त्रिसरा हार, तीन लड़ वियुक्त वाला हार उम्पिगरिअ-हस्तोत्क्षेप उरुमल्ल-प्रेरित उप्पिणिर-शून्य उलुओसिअ-रोमाञ्चित, पुलकित उप्पुलपोलिअ--कुतूहलपूर्वक त्वरा उलुकुसिअ-रोमांचित उप्पेस्थ-उन्मत्त | उलुइंडिय-हिनहिनाहट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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