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देशी शब्दकोश
हादण-अतिसार-'अहवा अतिप्पमाणो, आतुरभूतो तु भुंजए जं तु ।
तं होति अतिपमाणं, हादणदोसा उ पुव्वुत्ता' (जीभा १६२६) । हारपुट-लोहे का पात्र-विशेष-'हारपुटं ते लोहिगं चेव पादं'
(आचू पृ ३६५)। हारपुड-लोहे आदि धातु के पात्र-विशेष-'हारपुडं णाम अयमाद्याः पात्र
विशेषाः मौक्तिकलताभिरुपशोभि ता' (निचू ३ पृ १७२)। हारा-लिक्षा, प्राणी-विशेष (दे ८।६६) । हारीड-पक्षी-विशेष-'पारेवयो कपोतो त्ति हारीडो कुक्कुडो त्ति वा'
(अंवि पृ ६२)। हाल-१ स्वामी के लिए प्रयुक्त होने वाला संबोधन-शब्द-'हाल इति
पहुवयणं यथा-परियंदति सुण्हा गहवतिस्स पुत्ता ! तुमं सि मे राया । चागणडियस्स पुत्तय! हालस्स व किं घरे अत्थि ?' (दमचू पृ १६६) । २ गोत्र-विशेष (अंवि पृ १४६) । ३ सातवाहन
राजा (दे ८।६६)। हालक-कीट-विशेष-'कीडो त्ति वा पतंगो त्ति संखो खुलुक-हालको'
(अंवि पृ ६३)। हालाहल-१ भरपूर । २ त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष-'कहमहं एते हालाहले
जीवे पिविस्सं' (उचू पृ ५५)। ३ मालाकार । ४ छिपकली
(दे ८७५) । हालअ-क्षीब, मत्त (दे ८.६६) । हाव-तीव्र गति से चलने वाला (दे ८७५ वृ) । हाविर-१ तीव्र गति से चलने वाला । २ वीर्घ, लम्बा । ३ मन्थर ।
४ विरत (दे ना७५) । हासीअ-हास, हंसी (दे ८।६२) । हिंग-जार (दे ११४ वृ)। हिंगोबल-मृतभोज (आचू पृ ३३५) । हिंगोल-१ मृतक-भोज (आचूला २४२) । २ यक्ष आदि की यात्रा में
होनेवाला जीमनवार-हिंगोलं ति मृतकभक्तं यक्षादियात्राभोजनं वा
(आटी प ३३४)। हिचिम-एक पैर से चलने की बाल-क्रीडा (दे ८६८) । हिंछाघोडा-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ७०)। हिडिक-पुररक्षक (व्यभा ३ टी प ६७) ।
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