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देशी शब्दकोश
सुवुण्णा -संकेत (दे ८।३७) । सुव्व-तांबा-'जेण कणयं ति चिंतियं सुव्वं जायं' (कु पृ १६५) । सुविआ-माता (दे ८।३८) । सुसंठिआ-शूलाप्रोत मांस (दे ८।३६)। सुहउत्थिा -दूती (दे ८६)। सुहरा-गोरैया पक्षी, सुघरा, वह पक्षि-विशेष जिसके घोंसले को मुंह नीचे की
__ ओर होता है (दे ८।३६) । सुहराअ-१ वेश्यागृह । २ चटक, गोरैया पक्षी (दे ८।५६) । सुहल्ली -सुख, आनन्द (दे ८।३६ वृ)। सुहिल्लि-आनन्द (कु पृ८३) । सुहिल्लिया-सुख, आनन्द-'न लहइ जहा लिहंतो सुहिल्लियं अट्ठियं रसं
सुणओ' (भत्त १४२)। सुहेल्लि -सुख (दे ८।३६) । सूअरिमा-यन्त्र-पीडन (दे ८४१ वृ)। सूअरी-यन्त्र-पीडन (दे ८।४१) । सूअल-किशारु, जौ आदि का अग्रभाग (दे ८।३८)। सूइस--चण्डाल (दे ८।३६) । सूइत-प्रोत, पिरोया हुआ-'सुत्तेण सूइत त्ति य अत्था तह सूइता य जुत्ता य'
(सूचू १ पृ १२)। सूइय-भीगा हुआ खाद्य (आ ६।४।१३)। सूई-मञ्जरी (दे ८।४१)। सकमिड-कृमि-विशेष-'तत्थ किमिगत आसातिका किमिका....... सूकमिडा
वेति एवमादयो विण्णेया भवंति' (अंवि पृ २२६) । सूकमिद्द-क्षुद्र जंतु-विशेष (अवि पृ २३०) । सडण-विनाशक (प्रसा १५१४)। सूतय-तोता, शुक-'मायादोसेण रुक्खकोट्टरे सूतओ जाओ'
(आवहाटी १ पृ २६४) । सदी–परिमाण-विशेष, एक अंगुल लंबी एक प्रदेश वाली श्रेणी-पयरघणा
सम्वेसी सेढी सूदी य आयत-विसेसो' (सूचू १ पृ८)। सूमालिया-तैल का किट्ट (बृभा १७१०) । सूय-सूजनयुक्त-'सूयमुहं सूयहत्थं सूयपायं' (विपा १२७७) ।
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