SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 490
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देशी शब्दकोश संठय-पकाने का भाजन-विशेष-'मीरासु सुंठएसु य कंडूसु य पयणगेसु य पयंति' (सूचू १ पृ १२४)। संडक-पकाने का भाजन-विशेष-'मीरासु मुंडएसु य कंडूसु पयणगेसु य पयंति' (आवहाटी २ पृ १०७) । संभल-चोटी, शेखरक (ज्ञा १८७२ पा)। सुंभलग-मदिरा-विशेष (अंवि पृ २४७) । सुसुमारित-वाद्य-विशेष (आवचू १ पृ ३०६) । सुकुमालिअ-सुघटित (दे ८।४०) । सुक्ख-कंडा-'गोब्बरो त्ति करीसा त्ति सुक्खं वा छगणं पुणो' (वि पृ १०६)। सुग-सूची, सूई-तण सुगादी साधू अणाभोगेण अणणुण्णवितं गेण्हेज्ज' (दअचू पृ ८४) । सुगिम्हस-फाल्गुन का उत्सव (दे ८।३६ वृ)। सुग्ग-१ आत्मकुशल । २ निर्विघ्न । ३ विजित (दे ८१५६)। सुघर-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । सुजडिय-भली भांति बंद किया हुआ-"चाणक्कघरमणुप्पविट्ठो ओव्वरगं सुजड्डियं दटुं चिंतेति' (दअचू पृ ४२)। सुज्झ-धातु-विशेष (राज १७४)। सुज्झय-१ रौप्य, चांदी । २ धोबी (दे ८।५६) । सुज्झरअ-रजक, धोबी (दे ८।३६)। सुढिअ-१ धान्त, थका हुआ (दे ८।३६) । २ संकुचित अंग वाला (बृभा ३४६)। सढित-चरणों में गिरा हुआ-'छन्नालयम्मि काऊण कुंडियं अभिमुहंजली सुढितो' (बृभा ३७४) । सुणेलग-श्रोता, सुनने वाला (सूचू १ पृ १८५)। सुण्हसिअ-स्वपनशील, सोने की आदत वाला (दे ८।३६) । सत्त-१ कांजी (बृभा ८०१) । २ मद्य के नीचे का कर्दम । ३ द्रव्य-विशेष 'सुत्तं मदिराखोलः देशविशेषप्रसिद्धो वा कश्चिद् द्रव्यविशेषः' (बृटी पृ १५५७) । सत्तजगलिका-त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष-'सुत्तजगलिका कुंथू उरणी सुयम्मुत्ता' । (अवि पृ २३७) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy