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देशी शब्दकोश
४१३ सालहिया–सारिका, मैना (प्रसाटी प ६३; वे ८।२४) । सालही-सारिका, मैना (दे ८।२४) । साला-शाखा (सू २।२।२३; दे ८२२) । सालाका-पक्षिणी-विशेष-कीरी मदणसलाग त्ति सालाका कोकिल त्ति वा'
(वि पृ ६६)। सालाकालिक-गोल खाद्यपदार्थ-'पेंडिका वा पप्पडे वा मोरेंडकाणि वा
सालाकालिकं वा अंबट्टिकं वा' (अवि पृ १८२)। सालाणअ-१ स्तुत, जिसकी स्तुति की गई हो वह (दे ८।२७) ।
२ स्तुत्य, स्तुति-योग्य (वृ) । सालिगणवद्रिय-शरीर-प्रमाण वाले उपधान वाला-सहालिंगनवा
शरीरप्रमाणोपधानेन यत् तत् सालिंगन-वत्तिकम्'
(ज्ञाटी प १७)। सालिका-एक प्रकार की नौका-'णावा पोतो कोट्टिबो सालिका तप्पको'
(अंवि पृ १६६)। सालिभ–पर्वत की गुफा में रहने वाला प्राणी-विशेष-'अच्छभल्ला तरच्छा
सालिभा सेधका' (अंवि पृ २२७)। सालअ-१ शम्बूक, शंख । २ शुष्क यव आदि धान्य का अग्रभाग
(दे ८.५२)। सालग-शालि, यव आदि का अग्रभाग-'सालि-जव-अच्छि-सालुग, णिस्सरणं
___ मासमुग्गमादीसु' (बृभा ३३०७) । सावअ—१ शरभ, श्वापद पशु-विशेष (दे ८।२३) । २ बालों की जड़ में
होने वाला क्षुद्र कीट विशेष । सासवुल----कपिकच्छू, कवाछ का पौधा (दे ८।२५) । सासा-कान का आभूषण-'सासा-सम्मिका-वतंसक-ओवास-कण्णपीलक'
(अंवि पृ १८३)। सासेरा-यान्त्रिक नर्तकी-'देशीपदत्वाद् यन्त्रमयी नर्तकी' (बृटी पृ १६४५) । साह--१ बालू । २ उल्लू । ३ दधिसर, दही की मलाई (दे ८।५१)।
४ प्रिय, पति । साहंजण- -गोक्षुर, गोखरू (दे ८।२७) । साहंजय---गोक्ष, गोखरू (दे ८।२७)। साहणा-कथन (व्यभा ६ टी प १६)। साहरम--मोहरहित (दे ८।२६) । साहरक-रुपया-'साहरको णाम रूपकः' (निचू २ पृ ६५) ।
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