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देशी शब्दकोश संपण्णा-घेवर (मिष्टान्न-विशेष) बनाने के लिए तैयार किया हुआ गेहूं का
आटा (दे ८१८)। संपत्तिआ-१ बालिका, बाला (दे ८।१८) । २ पीपल का पत्ता-पिप्पली
__ पत्रवाचकोऽपि संपत्तिमाशब्दो लक्ष्येषु दृश्यते' (व)। संपत्ती-भवितव्यता-'तेवि संपत्तीए सयाहि सयाहि गया'
(आवहाटी २ पृ २२२) । संपत्थिअ-शीघ्र (दे ८।११) । संपर-१ नाई । २ वस्त्रशोधक (निभा ३७०८) । संपा-काञ्ची, मेखला (दे ८२) । संपासंग-दीर्घ, लम्बा (दे ८।११) । संफ-कुमुद, चन्द्रकमल (दे ८।१) । संफाणि-प्रासुक शीत या उष्ण जल से प्रक्षालन-सीतेण व उसिणेण व
वियडेणं धोवणा तु संफाणि' (निभा १६३६) । संफाणित-धुला हुआ (निभा १९४३) । संफाणिय-धुला हुआ (नि ५।१४)। संफाली-पंक्ति (दे ८।५) । संफाह-बहुत दिनों के वस्त्र एकत्रित करके एक दिन धोना
(निभा १९३६)। संफोडिळ-संयुक्त करके, मिलाकर-'संफोडिउं मेलितुमित्यर्थः'
(निचू २ पृ ३१४) । संबर-कचरा उठाने वाला (व्यभा ७ टी प ८०)। संबलिका--बांस की टोकरी-वेणुफलाई ति वेलुमयी संबलिका संकोसको ..
पेलिया करण्डको वा' (सूचू १ पृ ११६) । संभरण-संस्मरण, स्मृति (ज्ञाटी प ७६) । संभराविअ-स्मारित, याद कराया हुआ (दे ८।२५)। संभली-१ दूती (व्यमा ५ टी प १७; दे ८।६) । २ कुट्टनी, पर-पुरुष के
साथ अन्य स्त्री का योग कराने वाली स्त्री। संभव-प्रसव-जरा, प्रसवजन्य दौर्बल्य (दे ८।४) । संभारिय--१ संस्मारित, याद कराया हुआ-'मेहे कुमारे समणेणं भगवया
. महावीरेणं संभारिय-पुव्वभवे' (ज्ञा १११११६१)।
२ संस्मृत याद किया हुआ-'संभारिअक्खणिहणो ओत्थरइ सरेहिं मारुई धुम्मक्खो' (से १४१६५) ।
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