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देशी शब्दकोश वेंटक–अंगूठी-'अंगुले यकं मुद्देयकं वेंटक' (अंवि पृ १६३) । वेंटल-वशीकरण-विद्या, निमित्त-शास्त्र (ओनि ४२४) । बैंटिया-गठरी (निभा २८७) । वेढसुरा-कलुषित मदिरा (दे ७७८) । वेंढि-पशु (दे ७७४)। बढिअ-वेष्टित, लपेटा हुआ (दे ७।७६) । वेगपक्क-मांस पकाने की विधि-विशेष-'जम्मपक्काणि वेगपक्काणि य ति
रूढिगम्यम्' (विपाटी प ८०)। वेगल-दूरवर्ती-एवं तुब्भं पि पुरेकम्मको कम्मबंधदोसो ब्रह्महत्यावद्
वेगलो भवति' (बृटी पृ ५४४) । वेग्गल-दूरवर्ती (प्रा ४।३७०) । वेच्च-जटित (जीवटी प २१०)। वेज्झल-विह्वल (भटी प ३०७) । वेढावण-बैठाना-'अस्संजतस्स वेढावणादि पडिसिद्ध' (दअचू पृ १७७)। वेटि–बेगार-'ण बला कारिज्जति । वेटुिं वा मण्णति' (आचू पृ २८६)। वेड-नौका, नाव (दे ६।६५ वृ)। वेडइअ-वणिक, व्यापारी (दे ७।७८) । वेडंतिय --धातु-विशेष-'रयय-जायरूव-काय-वेडंतिय-वट्टलोह' (औप १०५)। वेडयकारि-रेश्मी वस्त्र बनाने वाला (निचू ३ पृ २७१)। वेडिअ-मणिकार, जोहरी (दे ७७७)। वेडिकिल्ल-संकीर्ण, जनसंकुल (दे ७।७८)-'किं लोअवेडिकिल्ले वेंढसुरं देसि
पाणि खिविअ' (वृ)। वेडंबक-नृपादि-कुल में उत्पन्न (आवदी २ प ७०) । वेडल्ल-गर्वित, अभिमानी (दे ७१४१)। वेड-लज्जित, अपमानित-ततेणं से राया लज्जिते विलिए वेड्ड तुसिणीए
संचिट्ठति' (आवचू १ पृ ४८४) । वेढल-एक प्रकार का ग्राह (प्रज्ञा ११५८) । वेण-मदी का विषम घाट (दे ७१७४) । वेणिअ-वचनीयता, लोकापवाद (दे ७७५) । वेणुणास-भ्रमर, भौंरा (दे ७७८)। वेतव्वग–खाद्य-विशेष (निचू २ पृ २४१)।
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