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देशी शब्दकोश
वावअ-आयुक्त, गांव का प्रमुख (दे ७।५५) । वावड-१ कुटुम्बी, गृहस्थ (दे ७।५४) । २ व्याकुल (बू)। वावडय-विपरीत मैथुन (दे ७५८) । वावडया--विपरीत मैथुन (पा ४३२) । वावणी-छिद्र, विवर (दे ७.५५) । वावदारी--गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०)। वावि-विस्तारित (दे ७।५७) । वावोणय-विकीर्ण, बिखरा हुआ (दे ७५६) । वासंदी-कुन्द का पुष्प (दे ७.५५)। वासपडाग- सर्प की एक जाति (प्रज्ञा १७१ पा)। वासवार-१ तुरंग, घोड़ा (दे ७.५६) ।२ कुत्ता। वासवाल-श्वान, कुत्ता (दे ७६०) । वासाणिया---वनस्पति-विशेष (सू २।३.२२) । वासाणी- रथ्या, गली (दे ७५५) । वासिय-पर्युषित, रात का बचा हुआ (खाद्य आदि)-'अच्छइ जाव पभायं
वासियभत्तं च से वसभा' (ओनि १२) । वासीमुह-द्वीन्द्रिय जंतु-विशेष, वासीमुख (उ ३६।१२८) । वासुरुल-स्थान-विशेष, उपद्रुत स्थान (अंवि पृ २२२)। वासुल-१ कुन्द का फूल (अंवि पृ ७०) । २ गोत्र-विशेष
(अंवि पृ १४६) । वासुली-कुन्द का पुष्प (दे ७।५५) ! वासेलिका--जलक्रीड़ा (अंवि पृ २५५) । वाहगण-मंत्री (दे ७.६१) । वाहगणय-मंत्री (दे ७।६१ वृ)। वाहड-भरा हुआ, परिपूर्ण-'बहुवाहडा अगाहा, बहुसलिलुप्पिलोदगा'
(द ७.३६)। वाहणा---ग्रीवा, गला (दे ७।५४) । वाहली लघु जल-प्रवाह (दे ७।३६)-'वाहलीशब्दः लघुजलप्रवाहवाचको
देश्य एव वक्ष्यते' (दे ३।२७ वृ)। वाहा-बालुका, रेत (दे ७ ५४) । वाहाडिया-गर्भवती (बृटी पृ १०३१) ।
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