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देशी शब्दकोश
रोहिय-रोझ, नील गाय (प्र ११६; दे ७/१२) रोहियंस-तृण-विशेष (प्रज्ञा ११४२) ।
लइअ--१ परिहित, पहना हुआ-'एकावलि-कंठलइय-वच्छा'
(समप्र २४१; दे ७।१८) । २ अंग में पिनद्ध (वृ)। लइअल्ल-वृषभ (दे ७।१६)। लइणी- लता (दे ७।१८)। लउस--वृक्ष-विशेष (अंवि पृ २३८) । लउसिया-देश-विशेष की दासी (ज्ञा १।१।६२)। लंका-१ शरीर का एक अवयव-'कंडरा पण्हिका लंका' (अंवि पृ ६६) ।
२ शाखा। लंखक-गायक, चंडाल-विशेष जो गाना गाते हैं (व्यभा १० टी प ६६) । लंगंती-धीरे-धीरे चलती हुई, लंगडाती हुई–'करिणी......"लंगंती ओसरइ'
(उशाटी प ५३)। लंगवलग-धान्य-विशेष (निचू २ पृ १०६)। लंच--कुक्कुट, मुर्गा (दे ७१७) । लंचापलि--वृक्ष को एक जाति (अंवि पृ ७०) । लंचिक्क-हीरा, माणक आदि- हयगयलंचिक्कारं तेणेंतो तेणओ उ उक्कोसो'
(निभा ३६५४) । लंछ-चोर-विशेष (विपा ११११४६) । लंद-काल, समय-'लंदं तु होइ कालो। समयपरिभाषया लन्दशब्देन कालो
भण्यते' (प्रसा ६११ टी प १७३) । लंदय-गाय आदि पशुओं का भोजन-पात्र (प्रसा ११६) । लंपिक्क-१ चोर । २ लुब्ध, आसक्त (कु पृ १७२)। लंपिक्ख --चोर (दे ७।१६)। लंब-गोवाट, गायों का बाड़ा (दे ७।२६)। लंबण-१ एक प्रकार का भोज्य-पदार्थ (पंक ७७८) । २ कवल
(पंव ३५८) । ३ हाथ (ओटी पृ २१)।
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