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देशो शब्दकोश
मुंड-१ स्थाणु-विशेष जो भैसों के बाडे में अर्गला के रूप में काम आता है
(अनु ३३३८ टी) । २ तीक्ष्ण-'मुंडपरसूहि' (प्रटी प ६०)। मुंडग--पात्र-विशेष, प्याला (अंवि पृ ६५) । मुंडा-मृगी, हरिणी (दे ६३१३३)। मुंडी-नीरंगी, चूंघट (दे ६।१३३)। मुंदिका-फल-विशेष (अंवि पृ ७०)। मुक्क-पर्याप्त, उचित, योग्य (व्यभा ७ टी प १६) । मुक्कय-किसी कन्या के विवाह में निमंत्रित अन्य कन्याओं का विवाह
(दे ६४१३५)। मुक्कल-१ मुक्त, स्वतंत्र (बृटी पृ ६००) । २ उचित । ३ स्वैर,स्वच्छंद
(दे ६।१४७)। मुक्कलिअ-बन्धन-मुक्त, स्वतंत्र (दे १११५६ वृ)। मुक्किल्लय-मुक्त, त्यक्त (अनुद्वाहाटी पृ ८८) । मुक्कंडी-जूट, जूड़ा (दे ६।११७) । मुक्कुरुड-राशि, ढेर (दे ६।१३६)। मुक्केल्लय-मुक्त, त्यक्त (अनुद्वाहाटी पृ ८८) । मगंस-नकुल, न्यौला-'मुगुसपुच्छं व तस्स भुमकाओ फुग्गफुग्गाओ'
(उपा २।२१) । मुगुंसिया-भुजपरिसर्पिणी (जीव २।६)। मुगुसिआ--भुजपरिसर्पिणी (जीवटी प ५२)। मग्गड-मोगल,म्लेच्छ-जाति-विशेष (प्रा ४१४०९) । मुग्गस-नकुल, न्यौला (दे ६।११८)। मुग्गिल्ल-पर्वत-विशेष (भत्त १६१) । मुग्गुसु-नकुल, न्यौला (दे ६।११८) । मुग्घड -मोगल, म्लेज्छ जाति-विशेष (प्रा ४१४०६)। मुग्घुरुड-राशि, ढेर (दे ६।१३६) । मट्रि-पुस्तक का एक प्रकार-'चउरंगुल दीहो वा वट्टागिइ मुट्टिपुत्थगो अहवा
चउरंगुलदीहो च्चिय चउरंसो होइ विन्नेओ' (प्रसा ६६६) । मुढिक्का-हिक्का, हिचकी (दे ६।१३४) । मुण-मुक्त (आवदी प १०१) । मुणमुणंती-बड़बडाहट करती हुई (व्यभा ५ टी प ५) ।
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