________________
दशी शब्दकोश
३३५.
माभाइ-अभय-दान (दे ६।१२६) । माभीसिम-अभय-दान (दे ६३१२६ वृ)। मामणा-ममता, ममकार-'मामण त्ति ममीकारार्थे देशीवचनम्'
(आवहाटी १ पृ८६)। मामा-मातुलानी, मामी (दे ६।११२) । मामि-सखी का आमंत्रण-शब्द (दे ६।१२८ वृ)। मामिया-मामी, मातुलानी (विपा श३।१४) । मामी-मामा की पत्नी, मामी-'मामी शब्दोऽपि देश्यः' (दे ६।११२ वृ)। मायंद-आम्र (दे ६।१२८)। मायंदी-श्वेतपटा साध्वी, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली संन्यासिनी
(दे ६।१२६)-'मायंदी उवदिसइ' (व)। मायार-मदारी, बन्दर पकड़ने वाला (बृटी पृ ८६) । मार-मणि का लक्षण-विशेष (जंबूटी प ३२) । मारामारी-मारपीट (पिटी प १५०) । मारिलग्गा--कुत्सिता (दे ६।१३१) । माल-१ खाद्य पदार्थ आदि रखने के लिए ऊपर बनाया गया मंच
(द ५११६६)। २ घर का ऊपरि भाग, दूसरी मंजिल-'मालो य घरोवरि होति' (भटी प २७४) । ३ समूह (आवहाटी २ पृ ८६) । ४ मञ्च, आसन-विशेष (ज्ञाटी प ७२; दे ६।१४६)। ५ आराम, बगीचा । ६ सुन्दर (दे ६।१४६) । ७ गुच्छ वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३७१५)। ८ चिनकर बनाई हुई पाल-'सहकठेहि य मालं करेंति, चिक्खिल्लेणं लिंपइ कंटयछायाए व उच्छाएई'
(आवहाटी २ पृ ८६)। ६ देश-विशेष । मालग-घर का ऊपरी भाग, मंजिल (जीभा १२७०) । मालय-म्लेच्छ-विशेष जो मनुष्यों का अपहरण करते हैं
. (व्यभा ४१४ टी प १३) । माला--ज्योत्स्ना, चांदनी (दे ६।१२८)। मालाकुंकुम–प्रधान कुंकुम, श्रेष्ठ कुंकुम (दे ६।१३२) । मालि-वृक्ष-विशेष (समप्र २३१) । मालुका-पक्षिणी-विशेष-'उलुकी मालुका व त्ति सेणा' (अंवि पृ ६६)। मालुग-त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (उ ३६।१३७) । मालुय-तीन इन्द्रिय वाले जन्तु-विशेष (प्रज्ञा ११५०) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org