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देशी शब्दकोश
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मणाम-मन के लिये प्रिय, सुन्दर (स्था २०२३३)। मणामत्त-मन के लिए प्रियता आपादित करने वाला (भ ६।२२)। मणावण-मनाना (निभा ३४५)। मणिणायहर-समुद्र (दे ६।१२८)। मणिरइमा-स्त्रियों की करधनी, कटिसूत्र (दे ६।१२६) । मणिसोमाणक-गले का आभूषण-विशेष (अंवि पृ १६३) । मणोगुलिया-पीठिका (जीव ३।३२६) । मणोज्जा-गुल्म वनस्पति-विशेष (भ २२१५) । मण्ह-मसृण, चिकना (औपटी पृ १७) । मतिय-कृषि का उपकरण-विशेष (प्रटी प १३) । मतिलित-मैला (निभा ४४६१)। मतेल्लित-मृत (आवचू १ पृ २७८) । मत्तग-प्रस्रवण, मूत्र-'मत्तग सुवणं च जयणाए' (बृभा २३३१) । मत्तबाल-मदोन्मत्त, मत्त (दे ६।१२२)। मत्तल्ली-बलात्कार (दे ६।११३) । मत्तवाल-मदोन्मत्त (दे ६।१२२ पा) । मत्तालंब-मतवारण, वरंडा (दे ६।१२३) । मत्थकत-खाद्य-विशेष (अंवि पृ १८२) । मत्थग-कान का आभूषण-विशेष-'कुंडलं वा बको व ति मत्थगो तलपत्तगं"
(अंवि पृ६४)। मत्थयधोय-दासत्व से मुक्त किया हुआ-'धौतमस्तकाः... अपनीतदासत्वा'
(ज्ञा ११११७५ टी प ४३)। मत्थयपच्छालण-दासत्व से मुक्ति (व्यभा ६ टी प ३८) । मदगंतिया-१ मालती, मोगरा । २ मल्लिका-'मदगंतिमा-मेत्तिया, - अन्ने भणंति-धियइल्लो मदगंतिया भण्णइ'
(दजिचू पृ १६६)। मद्दग-गुच्छ-वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३७।४) । मद्दल-मृदंग (दश्रु १०।२४) । मधुरक-मुख का आभूषण-विशेष (अंवि पृ १८३) । मधुला–पादगण्ड, (निचू २ पृ ६०) ।
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