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देशी शब्दकोश
बयल्ल-बैल, बलीवर्द (उशाटी प १९२)। बरग-बरट्टी, धान्य-विशेष (जंबूटी प १२४)। बरट्ट--धान्य-विशेष (प्रसा ६६E) । बरठ-धान्य-विशेष (प्रसाटी प २६७)। बरड-खरदरा-'थुल्ल वा बरडं वा थेरस्स पोत्तं होहिइ'
(आवहाटी १ पृ६०) । बरुअ-इक्षु-सदृश तृण (दे ६।६१) । बरुड-चटाई बनाने वाला शिल्पी (प्रसाटी प २३०)। बलजंत-व्यवसाय के लिए जाते हुए-'बालंजुयवणियाणं बलजंताणं वत्था
पडंति' (निचू ३ पृ १६४) । बलद्द-बैल (बृटी पृ ५३) । बलद (राज)। बलमड्डा--बलात्कार (दे ६१६२)। बलवद्रि-१ सखी (दे ६।६१)। २ श्रम को सहन करने वाली स्त्री (व) । बलहरण-छांद का आधारभूत ऊंचा तथा लंबा काष्ठ (भ ८।२५७) । बलामोडि-बलात्कार (बृचू प २०४; दे ६।६२)। बलामोडिय-बलात्, जबरदस्ती से-'तेण दंडिएण बलामोडिए पडिग्गही
__ गहिओ' (उसुटी प ५५) । बलामोलि-बलात्कार (से १०।६४) । बलिअ--१ पीन, पुष्ट (भ ६।२३०; दे ६।८८) । २ गाढ, दृढ
(ज्ञाटी प ६४) । ३ अत्यर्थ-'बलियतरं भीया तत्था तसिया'
(ज्ञा १।६।२७)। बलिमोडय--चक्राकार पर्व-परिवेष्टन (प्रज्ञाटी प ३७)। बले-१ निश्चय । २ निर्धारण-इन अर्थों का सूचक अव्यय (प्रा २११८५) । बलेद्द-बैल (दअचू पृ २१७) । बव्वाड-दाहिना हाथ (दे ६८६)। बव्वीस-वाद्य-विशेष (राज ७७) । बहल-पंक (दे ६।८६)। बहली-देश-विशेष की दासी (ज्ञा ११११८२)। बहिणी-बहिन (निचू ३ पृ ४३०)। बहिद्ध-१ बाह्य वस्तु का ग्रहण (सू ११९१०) । २ मैथुन । ३ परिग्रह
'बहिद्धं मिथुनपरिग्रही गृह्येते' (सूचू १ पृ १७७)।
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