________________
३०५
देशी शब्दकोश फुल्लंधुअ-भ्रमर (दे ६८५)। फुल्लग-पुष्प की आकृतिवाला आभूषण-विशेष (जीव ३३५९३)। फुल्लय-आंखों का रोग-विशेष- एक्कं अच्छिए फुल्लयं भवउ'
(निचू १ पृ६)। फूला (राज)। फुल्लवड-पुष्प-विशेष, मदिरावामक पुष्प (से निष्पन्न वस्त्र ?)
(निचू ३ पृ ३२१)। फुल्लि -काई (आवहाटी २ पृ ५६) । फुल्ली -काई (ओटी प १३१) । फुसार-फुहार, महिन बूंदों की झडी-सुहुमफुसारेहिं पडमाणेहिं फुसियं
___ वरिसं' (निचू ४ पृ २३०) । फुसिया--वल्ली-विशेष (प्रटी प ३३) फूअ--लोहकार (दे ६०८५)। फमित-फुक्कित, फूंक दिया हुआ (अंवि पृ १६८) । फमिय-फूंक मारा हुआ, फुक्कित-'भक्खणनिमित्तं फूमिया तिला नडेण'
(उसुटी प २५१) फसल्लि-अल्प-बिन्दु वाली वृष्टि, तुषाकार वृष्टि-'फूसल्लि यस्थ वासति
ण य होंतित्थ सारधण्णाणि' (अंवि पृ २५७) । फेक्कार-सियार की आवाज (उसुटी प १३८)। फेट्टा-वन्दन का एक प्रकार-‘फेट्टावंदणयं देइ' (अनुद्वाहाटी पृ ३)। फेणक--भोज्य-विशेष, फीनी (अंवि पृ १८२) । फेणबंध-वरुण, जलदेवता (दे ६।८५) । फेणवड-वरुण (दे ६८५) । फेफस-फुप्फुस (आवहाटी २ पृ १०७) फेरंड--पर्वकाण्ड, नाल-'तए ते साली हरियफेरंडा जाया' (ज्ञा १७।१४)। ‘फेलाया-मातुलानी, मामी (दे ६।८५)। फेल्ल-निर्धन, दरिद्र-'फेल्लमाहणेणं रत्थाए वइरहीरतो लद्धो'
(पंक १६७८; दे ६।८५)। फेल्लुसण -१ पिच्छिल भूमि, वैसी भूमी जहां पांव फिसलते हैं।
२ फिसलन, स्खलन (दे ६।८६)। 'फेल्हसण—फिसलन (व्यभा ४।४ टी प ६)। फेस-१ त्रास । २ सद्भाव (दे ६।८७) । फेसय-फुप्फुस (कु पृ २२५) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org