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देशी शब्दकोश
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फलिय-नाना प्रकार के व्यंजन और भक्ष्यपदार्थों द्वारा बनाया हुआ खाद्य
विशेष-'फलियं पहेणगाई वंजणभक्खेहिं वा विर इयं तु'
(व्यभा ६ टी प १६)। फलिह-१ आकाश-'अगमे इ वा फलिहे इ वा अणंते इ वा'
(भ २०१६) । २ कपास का टेंटा (अनुद्वामटी प ३१)।
३ पाणि, एडी (उशाटी प १६३) । फलिही-कपास का टेंटा (अनुद्वामटी प ३१) । फसल-१ सारभूत । २ स्थासक, हस्तबिंब (दे ६।८७) । ३ चितकबरा
(पा १६७)। फसलाणि-विभूषित (दे ६।८३) । फसलिअ-विभूषित, जिसने विभूषा की हो वह (दे ६८३)। फसुल-मुक्त (दे ६।८२) । फालहिय-शाक आदि की बाडी का स्वामी (व्यभा ५ टी प ७) । फालि-१ फली, छीमी (आचू पृ २००) । २ शाखा-'सिंबलिफालिव्व
अग्गिणा दड्ढो' (सं ८४) । ३ फांक, टुकड़ा।। फालिय-देशविशेष में होने वाला वस्त्र (आचूला ५।१४) । फिक्कि -हर्ष (दे ६।८३)। फिज-टखना-'कुल्लेसु सुउप्पत्ती ऊरूहिं बंधुणो अणिठें तु । पासेसु वल्लहत्तं
__ वाहणलाभो फिजे भणिओ ॥' (उसुटी प १३०)। फिडित-१ इधर-उधर बिखरे हुए-'भत्तट्ठा अण्णण्णतो फिडिताणं'
(नंदीच पृ९) । २ अतिक्रांत-पडिलेहणिया काले फिडिए
कल्लाणगं तु पच्छित्तं' (ओभा १७४) । फिडिय-अपगत, च्युत (ओनि ११२) । फिड्ड-वामन (दे ६१८४) । फिप्प-कृत्रिम (दे ६।८३)। फिप्फिस-फेफड़ा (प्र ११११)। फिरडि-फुर्-फुर् कर उड़ जाना (बटी पृ ६१०) । फिरिडि-फुर्-फुर् कर उड़ जाना-फिरिडित्ति णिग्गया सुघरा'
(आवचू १ पृ ३४५)। फिलिय-भ्रष्ट (से ८।६८)। फिल्लसिय–फिसला हुआ-सा तत्थ वच्चंती फिल्लसिया' (बृटी पृ ९२६) । फिल्लुसण-फिसलन (बुचू प १४१)।
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