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देशी शब्दकोश
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पुव्वड-दुर्बल (निरटी पृ ३४) । पुवाड- पीन, पुष्ट (दे ६।५२) । प्रविय-हलवाई, कंदोई- एगं पुब्वियावणे मोयगं गहाय इंदखीले ठवेहि'
(आवहाटी १ पृ २७८)। पुग्विल्लय-पूर्वज (उशाटी प १३०)। पूअ-दही (दे ६।५६) । पूआ - भूताविष्ट महिला (दे ६ ५४) । पूइआलुग-जलीय वनस्पति-विशेष (आटी प ३४८) । पूइकरंज-एक अस्थिवाला वृक्ष (प्रज्ञा ११३५) । पूइय-१ वनस्पति-विशेष (भ २२।२) । २ हलवाई-‘एवं सलाहिज्जतो बलो
गओ पूइयावणं' (उसुटी प ४०) । पूडरिअ-कार्य (दे ६।५७) । पूडलग-पूआ, खाद्य-विशेष (निचू १ पृ १५) । पूण-हाथी, गज (दे ६:५६) । पूणअ-छींके का ढक्कन-सिक्कयंतयं णाम तस्सेव पिहणं, मा तत्थ संपातिमा
पडिस्संति, सो तु 'पूणउ' त्ति देसीभासाते वुच्चति'
(निचू २ पृ ३६) । प्रणिआ-पूणी, रूई का पहल (दे ६७८)। पूणी-पूनी, रूई की पहल (दजिचू पृ १४६ ; दे ६।५६) । प्रतणा-मादा पक्षि-विशेष (अंवि प्र६६) । पूतरग-त्रस प्राणी-विशेष (निचू ४ पृ ५४) । पूतिआलुग-जलीय वनस्पति-विशेष (आचूला १।११३) । पूतिकरंज-पुष्प और फल वाला वृक्ष-विशेष (अंवि पृ २३२) । पूतिल-फल-विशेष (अंवि पृ २३२) । पूयणा-भेड़-पूयणा णाम औरणीया' (सूचू १ पृ६८)। पूलिया-पूपिका, खाद्य-विशेष (आचूला १।११६) । पूयली-रोटी (उचू पृ १७५) । पूरण-१ खाद्य-पदार्थ, पूरणपोली (उपाटी पृ २२) । २ छाज, शूर्प
(दे ६।५६)। पूरिमंस--गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) ।
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