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देशी शब्दकोश
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तुन्नक-वाद्य-विशेष (आवचू १ पृ ३०६)। तुप्प-१ घृत, घी (प्रसा २३३; दे ५॥२२) । तुप्पा (कन्नड़)। २ कलेवर
की चर्बी-'तुप्पो पुण मययकलेवरवसा भण्णति' (निचू १ पृ ७४) । ३ कलेवर की चरबी या घी आदि से चुपड़ा हुआ (बृभा २६२२; दे श२२) । ४ सरसों का धान्य (प्रसाटी प २३३; दे ५३२२)। ५ विवाह । ६ कौतुक, उत्सुकता । ७ घी आदि भरने का चर्मपात्र
(दे ॥२२) । ८ वेष्टित (अनुद्वा २६)। तुप्पग्ग-चिकना, घृष्ट-'तुप्पगतिक्खसिंग' (दश्रु ८।२२) । तुप्पित- म्रक्षित, चुपड़ा हुआ (अनुद्वाचू पृ १३) । तुप्पिय-स्निग्ध, चुपड़ा हुआ-'नेहतुप्पियगत्तं' (विपा ११२।१४) । तुमंतुम-तू-तू मैं-मैं, वाचिक-कलह (भ २५१५६८) । तुरंत-शीघ्र (आवचू १ पृ ३०१)। तुरक्क-१ देश-विशेष, तुर्किस्तान । २ अनार्य जाति-विशेष, तुरक । तुरयमुह-त्वरावाला, जल्दबाज (से ४।३०)। तुरी-१ पुष्ट, मोटा। २ चित्रकार का उपकरण, तूलिका (दे ५।२२)। तुरुक्की-तुर्किस्तान की लिपि-विशेष (विभा ४६४ टी)। तुलग्ग-काकतालीय न्याय, अकस्मात् (दे ५।१५) । तलसी-१ भूतों का चैत्य वृक्ष-'कलंबो उ पिसायाणं, वडो जक्खाण चेइयं ।
तुलसी भूयाण भवे, रक्खाणं च कंडओ।" (स्था ८।११७) ।
२ सुरसलता, तुलसी (भ २११२१; दे ५।१४) । तवर-रस-विशेष, करेला रस (दे ५॥१७ व)। तुसेमजंभ-लकड़ी (दे ५।१६) । तुअ-ईख का काम करने वाला (दे ५।१६) । तूका-मकड़ी (अंवि पृ ७०) । तूण-रोग-विशेष (अंवि पृ २०३) । तुणइल्ल-तूण वाद्य को बजाने वाला (जीव ३।६१६) । तूपरड-१ क्लीब । २ कूबडा (दअचू पृ १६८) । तमणय (णूमणय ?)-छिपाना, स्थगन-'देशीपदमेतद् स्थगनमित्यर्थी'
(व्यभा ३ टी प ४१)। तूलिणिआ--शाल्मली-वृक्ष (दे ॥१७) । तूलिणी-शाल्मली-वृक्ष (दे ५॥१७ वृ) ।
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