________________
२३२
देशी शब्दकोश तालफली-दासी (दे ॥११ )। तालहल-शालि, व्रीहि (दे ५७) । ताला-लाजा, खोई, धान का लावा (दे ५॥१०)। तालुक-तालाब का जल (वि पृ २६६) । तालूर-१ फेन । २ कपित्थ-वृक्ष (दे ५।२१) । ३ पानी का आवर्त (वृ) ।
४ पुष्प का सत्त्व । ताहे-तदा, तब (उशाटी प १४८) । तिउड-कलाप, मोर-पिच्छ (पा ६४६) । तिउडग-१ धान्य-विशेष, मोठ (दनि १५६) । २ लौंग, लवंग। तिउल-मन, वचन और काया को पीड़ा पहुंचाने वाला-उदयपत्ते उज्जल
बल-विउल-ति उल-कक्खड-पगाढ-दुक्खे' (प्र १०१६)। तिउल्लिका-वाद्य-विशेष (नंदीटि पृ ६६)। तिगिआ--कमलरज (दे ॥१२)। तिगिच्छिक-गले का आभूषण-विशेष (संवि पृ ६५)। तिगिछि-१ पराग-'प्राकृते पुष्परजःशब्दस्य तिगिछि' इति निपातः देशी
शब्दो वा' (जंबूटी प ३०७; दे ५॥१२) । २ पीला पुष्प
(अंवि पृ ७०)। तितिणि-बड़बड़ाने वाला (पंक १९७५)। तितिणिय-१ चिड़चिड़े स्वभाव वाला-तितिणिए एसणागोयरस्स
पलिमंथू' (स्था ६।१०२)। २ चंचल चित्त वाला
(बृटी पृ २३६)। तितिणिया--बड़बड़ाहट (बृभा ६३४०) । तिदुग-त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (उ ३६।१३८)। तिदूसय-कन्दुक, गेंद-'कणगतिदूसरण कीलमाणी' (अंत ३१५८) । तिबुरुको--वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ७०) । तिक्खालिअ-तीक्ष्ण किया हुआ (दे ५.१३)। तिडु-अन्ननाशक कीट-विशेष, टिड्डी (अनुटी पृ ४)। तिड्डय-टिड्डी (बृटी पृ ६७५) । तिणिस-मधुमक्खियों का छत्ता, मधु-पटल (दे ५।११) । तित्ति-१ आदेश । २ चिन्ता । ३ वार्ता (आचू पृ ३३१) । ४ सार,
तात्पर्य (दे ५।११) । ५ गवेषणा, खोज । ६ पालन (प्रटी प ६७) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org