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देशी शब्दकोश
तरवच्च-शस्त्र-विशेष (अवि पृ ११५) । तरवट्ट-वृक्ष-विशेष, चकवाड, पगार (दे ५५)। तरस-मांस (दे ॥४)। तरिअव्व-उडुप, नौका (दे ५१७)। तरुणरहस-राग-रागिनियां-'जुण्णमएहिं विहूणं जं जूहं होइ सुठुवि महल्लं।
तं तरुणरहसपोइयमयगुम्मइयं सुहं हंतुं ॥' (ओनि १४०) । तल--१ गांव का मुखिया, ग्रामेश । २ शय्या (दे ५।१६) । तलऊडा-गुच्छ वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा १।३।७३) । तलंगणी-खाद्यपदार्थ-विशेष (ओटी पृ ३६८)। तलकोड-गुल्म-विशेष (अंवि पृ ६३) । तलपत्तक-कान का आभूषण-विशेष (अंवि पृ ११६) । तलप्फल-शालि, व्रीहि (दे ५।७) । तलभ-हाथ का आभूषण-विशेष (अंवि पृ ६५)। तलयागत्ति—कूप, कुआं-'तलयागत्ति वच्चइ णिसि....' (दे ५८)। . तलवत्त-१ कान का आभूषण-विशेष । २ वरांग, उत्तमांग, शिर
(दे ५।२१)। तलवर-१ नगर-रक्षक, कोतवाल-'राइणा तुट्टेण चामीकरपट्टो रयणख इतो
सिरसि बद्धो यस्स सो तलवरो भण्णति' (अनुद्वाचू पृ ११) । २ राजा के सदृश सम्मान प्राप्त व्यक्ति-रायप्रतिमो चामरविरहितो
तलवरो भण्णति' (निचू २ पृ ४५०)। तलवरी-कोतवाल की पत्नी (अंवि पृ ६८) । तलसारिअ--१ छना हुआ, शुद्ध (दे ५।६) । २ भोला, मूर्ख-'अन्ये तु
तलसारिओ नालिक इति पठन्तस्तलसारि मुग्धमाचक्षते' (व)। तला- कृमि-विशेष (अंवि पृ ७०)। तलार-नगर-आरक्षक (दे ५॥३)। तलाहण-खाद्य-विशेष (निचू ४ पृ २५६] । तलाहतिया-खाद्य-विशेष-'तलाहतियातो आवणातो आणिति'
(दश्रुचू प ६६)। तलिका--१ पात्र-विशेष (दअचू पृ १५३) । तलिगे-थाली (कन्नड़)।
२ प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२७)। तलिगा-एक तले वाला जूता (प्रसा ६७६) ।
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