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देशी शब्दकोश
तट्टी-वृति, बाड़ (दे ५३१)। तडउडा-वृक्ष-विशेष, आउली का वृक्ष (जंबूटी प ३४) । तडफड-व्याकुलता, छटपटाहट (निचू २ पृ ७५) । तडफडिअ-चारों ओर से प्रकम्पित, तडफड़ाया हुआ, आकुल-व्याकुल
(दे ५।६)-'तुह विरहे तीइ इत्थ तडफडिअं' (वृ)। तडमड-क्षोभ-प्राप्त, क्षुब्ध (दे ५१७)। तडवडा-वृक्ष-विशेष, आउली का पेड़ (राज २८; दे ५२५) । तडिअ-बद्ध-'गणेऊण गंठी तडिओ, तो न तीरइ सिव्वेउ'
(आवहाटी १ पृ २८१) । तडिग-जूता (ओटी प ३४) । तडिण-विरल, तुच्छ (से १३।५०) । तडिम-१ भींत । २ कुट्टिम, पाषाण से बंधा हुआ भूमितल (से २१२)।
३ द्वार के ऊपर का भाग (से १२१६०)। तडिय-बागवान्, मालाकार-तत्थ कुंभो पुप्फाण उठेइ, तत्थ भगवतो
पितिमित्तो तडिओ' (आवहाटी १ पृ १६७) । तड्डविअ-विस्तृत (पा ५२१) । तड्डविय–विस्तीर्ण-'आमुच सुपट्टिकेसम्मि तड्डविय-सिहंडि-कलाव-सच्छहं
केसभारं' (कु पृ २५) । तण-कमल (दे ५१)। तणतण-गर्जन (आवमटी प १६९) । तणय-संबंधी (प्रा ४।३६१) । तणयमुद्दिआ-अंगूठी (दे ५६)। तणरासि-फैलाया हुआ (दे ५।६) । तणरासिअ-प्रसृत, फैलाया हुआ (दे ५।६ व)। तणवरंडी-छोटी नौका (दे ॥७) । तणसोल्लि-पुष्प-प्रधान वृक्ष, मल्लिका (दे ५।६)। तणसोल्लिया-मल्लिका, पुष्प-प्रधान वृक्ष-विशेष (ज्ञा १११६।२५६) । तणेसी-तृण-राशि (दे ५॥३) । तण्ण-आर्द्र (से १।३१)। तण्णाय-गीला, आर्द्र (दे २२)। तत्तडिय-रंगा हुआ वस्त्र-तत्तडियाणं च तह य परिभोगो' (ग ८६)।
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