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देशी शब्दकोश णेलच्छ—नपुंसक (दे ४१४४) । णेलय-रुपया (निभा ६५९) । लिच्छी—कूपतुला (दे ४१४४) । ल्लक-सुरा-विशेष (जीवटी प २६५) । वच्छ—अवतारण (नंदीचू पृ २७) । वच्छण-अवतारण, नीचे उतारना (दे ४।४०) । सत्थि-वणिक्-प्रधान (दे ४।४४) । णेसत्थिय-वणिक्-प्रधान, व्यापारी (निचू ३ पृ १०६) । सत्थिया–निक्षेपण से होने वाला कर्मबंध (स्था २।२६)। सर-रवि (दे ४१४४) । णोमि-रस्मी, डोर (दे ४१३१) । णोलइसा-चञ्चु (दे ४।३६) । णोलच्छा --चञ्च (दे ४।३६) । णोल्लण-संस्पर्श (निचू २ पृ २५६) । णोव्य-आयुक्त, गांव-प्रधान (दे ४।१७) । ण्हं--पादपूर्ति में प्रयुक्त होने वाला अव्यय-हमिति निपात: पूरणार्थो वर्तते
(आवमटी प २४४)। व्होरय-कृतज्ञता (प्रसा १६२) ।
तउसमिजग-त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष (उ ३६।१३८) । तउसमिजिया--त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष (प्रज्ञा १५०) । तंजतण-वृक्ष-विशेष (आचू पृ ३७०) ।। तंट-पीठ (दे ५११)। तंड--१ लगाम में लगी हुई लार । २ मस्तक-विहीन । ३ तेज स्वर
(दे ५॥१६)। तंडो-दुष्ट घोड़ा-'तंडीति वा गलीति वा मरालीति वा एगट्ठा'
(उचू पृ ३०)।
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