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देशी शब्दकोश णिग्गिण्ण-१ बाहर निकला हुआ (दे ४१३६) । २ वान्त, वमन किया
हुआ (से ५।२९) ।" णिग्घट्ट-कुशल (दे ४१३४) । णिग्घत्तिय-क्षिप्त, फेंका हुआ (पा ५४५) । 'णिग्घोर-निर्दय (दे ४१३७) । णिग्घोलिय-खाली किया हुआ-णिग्घोलियं च पल्लं' निघोलितं
रिक्तीकृतम्' (बृभा ३३६६ टी पृ ९५०)। णिचुड-१ निर्दय (पा १२५) । २ बाहर निकला हुआ। णिच्छ—योग्य (?) (आचू पृ ३७०) । णिच्छक्क-१ निर्लज्ज (बभा २२५६) । २ अवसर को नहीं जानने वाला,
___ असमयज्ञ । णिच्छुड-निर्दय (दे ४१३७) । णिच्छुढ-निष्कासित (उशाटी प १६९) । णिच्छोलित--छीला हुआ, छाल उतारा हुआ (अंवि पृ १७१) । 'णिज्ज-सुप्त, सोया हुआ (दे ४।२५)। 'णिज्जाअ--उपकार (दे ४३३४) । णिज्जह-१ द्वार के ऊपर बाहर निकला हुआ काष्ठ-विशेष (प्र १११८)।
२ गवाक्ष (व्यभा ३ टी प ६३) । ३ नीव, गृहाच्छादन
(दे ४।२८)। ४ द्वार। 'णिज्जहअ-द्वार का किनारा (कु पृ ६७)। 'णिज्जोअ-१ राशि, ढेर (दे ४१३३) । २ पुष्पों का ढेर (व) । णिज्जोमि-रज्जू, रस्सी' (दे ४।३१) । णिज्जोय-सामग्री, परिकर-एगाभरणवसणगहियनिज्जोया' (भ ६।२०२) । णिज्झर-जीर्ण (दे ४।२६) । णिज्झाअ-निर्दय (दे ४।३७) । 'णिज्झर-जीर्ण (दे ४।२६ वृ)। णिटक-१ पर्वत से छिन्न भाग । २ विषम (दे ४१५०) । ‘णिट्टइय-क्षरित, टपका हुआ (पा १३९)। 'णिठ्ठहण-थूक-निठ्ठहणेण घसिऊण कणयवन्ना कया अंगुली दंसिया'
(उसुटी प २४२)। णिठुहिअ-निष्ठीवन, थूक (दे ४।४१) ।
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